लघुकथा – तकनीक
बिना मांगे ही उस ने गुरु मन्त्र दिया, “ आप को किस ने कहा था, भारी-भारी दरवाजे लगाओं. तय मापदंड के हिसाब से सीमेंट-रेत मिला कर अच्छे माल में शौचालय बनावाओं. यदि मेरे अनुसार काम करते तो आप का भी फायदा होता ?” परेशान शिक्षक को और परेशान करते हुए पंचायत सचिव ने कहा , “ बिना दक्षिणा दिए तो आप का शौचालय पास नहीं होगा. चाहे आप को १०,००० का घाटा हुआ हो.”
“ नहीं दूं तो ?”
“ शौचालय पास नहीं होगा और आप का घाटा ३५,००० हजार हो जाएगा. इसलिए यह आप को सोचना है कि आप १५,००० का घाटा खाना चाहते है या ३५,००० हजार का ?”
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२४/०६/२०१५
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
आदरणीय ओमप्रकाश क्षत्रीयजी, आपकी लघुकथा तो दमदार लगी, इसकी बधाई पहले. लेकिन उससे भी दमदार लगी आपकी उद्घोषणा जो कि टिप्पणी के माध्यम से आपने की है !
आदरणीय यह साहित्यिक मंच है और साहित्य की सीमा-प्रतीति तथा इससे प्राप्त उन्मुक्तता सभी समझते हैं.
सादर शुभकामनाए~ एक सफल लघुकथा केलिए.
शुभ-शुभ
आ मिथिलेश वामनकर जी
आप को मेरी लघुकथा पसंद आई . आभार आप का .
इस सार्थक और सफल लघुकथा के लिए आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीय ओमप्रकाश जी
" बहुत खूब तकनीक है यह रिश्वत की .. कि कैसे घाटा छोटा और बडा होकर प्रभावित करता है शिक्षक रूपी तंत्र पर । बधाई आपको इस सार्थक लघुकथा के लिए आदरणीय ओमप्रकाश जी"
आदरणीय kanta roy जी ,
आप की इस समीक्षात्मक टिपण्णी के लिए आभार .
आदरणीय vinaya kumar singh जी आप को लघुकथा "सुन्दर" लगी . आभार आप का .
बढ़िया सीख़ , सुन्दर लघुकथा आदरणीय.
आदरणीय बंधुओं
मेरा इस लघुकथा से सीधा कोई सम्बन्ध नहीं है . यानि ये मेरे अनुभव पर आधारित नहीं है . मैंने किसी को इस लघुकथा के द्वारा कटघरे में खड़ा नहीं किया है . यह केवल दूसरों के अनुभव पर आधारित है .मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ है . मगर यह एक कड़वी सच्चाई है. जिस इस लघुकथा के माध्यम से व्यक्त किया है . सादर .
आ. Omprakash Kshatriya जी, बहुत सही , जिज्ञाषा शांत हो गयी , आभार आपका , पुनः बधाई ! सादर
आदरणीय Hari Prakash Dubey जी
सबसे पहले तो रचना पसंद करने के लिए आप का शुक्रिया .
दूसरा -आप ने बहुत ही बढ़िया प्रश्न किया है . यह पढ़ कर आनंद आ गया.
आदरणीय दुबे जी , इस समय स्वच्छता अभियान के तहत मप्र में शौचालय का काम चल रहा है. इस में तीन एजेंसिया निरीक्षण कर रही है . पहली शिक्षा विभाग , दूसरा पंचायत विभाग के माध्यम से जनपद पंचायत और तीसरा राजस्व विभाग.
इन में कमीशन के खेल में जो सक्रिय रहता है उसी के माध्यम से या ऐसे व्यक्ति के जरिए ही कमीशन का खेल चलता है जो कमीशन उगा सके . इंजिनियर उन्ही के मर्फटी कमीशन लेते है . ताकि उन पर किसी तरह की आंच न आए.
यह लिंक है .
वैसे देखे तो सीधे-सीधे पचायत सचिव का स्कूल से कोई लेना-देना नहीं है. मगर आज के ज़माने में रिश्वत ऐसे ही ली जाती है . जिस का किसी से कोई सम्बन्ध न हो , वही रिश्वत लेता है .
यह सेफ तरीका है .
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