For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - फिल बदीह -- खार सीने से लगाता कौन है ( गिरिराज भंडारी )

2122      2122    212 

छोड़िये , हमको बुलाता कौन है

खार सीने से लगाता कौन है

आप हैं गमगीन , खुद रोते रहें

अब यहाँ कन्धा बढाता  कौन है

 

हाथ अंगारों में रख कहते हैं वो

हमसा खुद को आजमाता कौन है

 

सोई खोई बस्ती की तनहाई में

ग़ज़ले-ग़ालिब गुनगुनाता कौन है

  

एक दिन तो खोजिये इस दश्त में

खिलखिलाता , मुस्कुराता कौन है

 

आप भी मायूस हो कर लौटेंगे

पत्थरों से दिल लगाता कौन है

 

चाँद बन तू , पास आयेंगे तभी

सूर्य के नज़दीक जाता कौन है

 

इक न इक दिन हार जाते हैं सभी

ज़िन्दगी को को जीत पाता कौन है

 

पूछ मत बाहर निकल कर देख ले

आसमाँ पर झिल मिलाता कौन है 

 

रोशनी में रोशनी करते हैं सब

आइना तम को दिखता  कौन है

**********************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

 

Views: 889

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 8, 2015 at 8:09pm

आदरणीय सुनील भाई , आभार आपका ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 8, 2015 at 8:08pm

आदरणीय सौरभ भाई , , कभी आइये वहाँ भी , वैसे  आपके स्तर की जगह नहीं है , फिर भी ।

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on July 8, 2015 at 7:50pm
खुबसूरत आदरणीय जुड़ा तो मई भी हूँ पर समय आभाव में शिरकत नहीं कर पाता परन्तु समय मिलते ही पढ़ लेता जरुर हूँ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 8, 2015 at 5:56pm

// मुझे भी आमंत्रित कर जोड़ा गया है //

हुम्म .. तो चाबी वहाँ है और खुलता हुआ ताला यहाँ है... ;-)))

हा हा हा.....................


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 8, 2015 at 5:27am

आदरणीय सौरभ भाई , सब आप लोगों का माया है , आप लोगों ने ही सिखया है , वाह वाही भी आप सब को समर्पित है । उत्साह वर्धन के लिये आपका आभार ।

आदरणीय -  फेस बुक मे एक एक नया साहित्यिक ग्रुप बना है , काव्योदय । बाक़ी सब से अलग है  इनका उद्देश्य भी सीखना सिखाना है , मुझे भी आमंत्रित कर जोड़ा गया है । यहीं रोज रात 8.00 बजे फिल बदीह का आयोजन होता है , एक मिसरा दिया जाता है , उसी समय एक  एक शे र कह के पोस्ट करते जाते हैं , लाइभ पढना , सीखना सिखना चलता है । रात 11 तक । गज़ल कम्प्लीट हो जाने के बाद मै बिना रुके  सबसे पहले ओ बी ओ मे पोस्ट कर देता हूँ , जाँचने का समय भी नही मिलता , इसी लिये कुछ गज़लों बहुत सी गलतियाँ भी रह जातीं है । दूसरे दिन फिर फिल्बदीह , समय ही नही मिलता है , गज़ल कुछ समय रह पाये सीझने के लिये । हाँ , अभ्यास खूब होता है , इसका भी एक अलग मज़ा है । यहाँ पोस्ट होने के बाद सुधर जातीं हैं गज़लें , आप सब  के सहयोग से । तब मै फेस बुक मे ग़ज़ल डालता हूँ । पूछने के लिये आपका शुक्रिया ॥


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 8, 2015 at 1:12am

आप लिखते रहें. हम वाह वाह करते नहीं थकेंगे.

फिर से, ये फ़िलबदीह कहाँ पर का कमाल है ?
सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 28, 2015 at 1:30pm

आदरणीय मोहन भाई , उत्साह वर्धन केलिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।\


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 28, 2015 at 1:28pm

आदरणीय मिथिलेश भाई , आपकी स्नेहिल सराहना के लिये आपका दिल से शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 28, 2015 at 1:27pm

आदरणीय हरे राम भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by मोहन बेगोवाल on June 28, 2015 at 1:23pm

  खुबसूरत ग़ज़ल के लिए दाद कबूल कीजिए - आदरणीय  गिरिराज जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
6 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
Friday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service