2122 2122 212
छोड़िये , हमको बुलाता कौन है
खार सीने से लगाता कौन है
आप हैं गमगीन , खुद रोते रहें
अब यहाँ कन्धा बढाता कौन है
हाथ अंगारों में रख कहते हैं वो
हमसा खुद को आजमाता कौन है
सोई खोई बस्ती की तनहाई में
ग़ज़ले-ग़ालिब गुनगुनाता कौन है
एक दिन तो खोजिये इस दश्त में
खिलखिलाता , मुस्कुराता कौन है
आप भी मायूस हो कर लौटेंगे
पत्थरों से दिल लगाता कौन है
चाँद बन तू , पास आयेंगे तभी
सूर्य के नज़दीक जाता कौन है
इक न इक दिन हार जाते हैं सभी
ज़िन्दगी को को जीत पाता कौन है
पूछ मत बाहर निकल कर देख ले
आसमाँ पर झिल मिलाता कौन है
रोशनी में रोशनी करते हैं सब
आइना तम को दिखता कौन है
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मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीय सुनील भाई , आभार आपका ।
आदरणीय सौरभ भाई , , कभी आइये वहाँ भी , वैसे आपके स्तर की जगह नहीं है , फिर भी ।
// मुझे भी आमंत्रित कर जोड़ा गया है //
हुम्म .. तो चाबी वहाँ है और खुलता हुआ ताला यहाँ है... ;-)))
हा हा हा.....................
आदरणीय सौरभ भाई , सब आप लोगों का माया है , आप लोगों ने ही सिखया है , वाह वाही भी आप सब को समर्पित है । उत्साह वर्धन के लिये आपका आभार ।
आदरणीय - फेस बुक मे एक एक नया साहित्यिक ग्रुप बना है , काव्योदय । बाक़ी सब से अलग है इनका उद्देश्य भी सीखना सिखाना है , मुझे भी आमंत्रित कर जोड़ा गया है । यहीं रोज रात 8.00 बजे फिल बदीह का आयोजन होता है , एक मिसरा दिया जाता है , उसी समय एक एक शे र कह के पोस्ट करते जाते हैं , लाइभ पढना , सीखना सिखना चलता है । रात 11 तक । गज़ल कम्प्लीट हो जाने के बाद मै बिना रुके सबसे पहले ओ बी ओ मे पोस्ट कर देता हूँ , जाँचने का समय भी नही मिलता , इसी लिये कुछ गज़लों बहुत सी गलतियाँ भी रह जातीं है । दूसरे दिन फिर फिल्बदीह , समय ही नही मिलता है , गज़ल कुछ समय रह पाये सीझने के लिये । हाँ , अभ्यास खूब होता है , इसका भी एक अलग मज़ा है । यहाँ पोस्ट होने के बाद सुधर जातीं हैं गज़लें , आप सब के सहयोग से । तब मै फेस बुक मे ग़ज़ल डालता हूँ । पूछने के लिये आपका शुक्रिया ॥
आप लिखते रहें. हम वाह वाह करते नहीं थकेंगे.
फिर से, ये फ़िलबदीह कहाँ पर का कमाल है ?
सादर
आदरणीय मोहन भाई , उत्साह वर्धन केलिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।\
आदरणीय मिथिलेश भाई , आपकी स्नेहिल सराहना के लिये आपका दिल से शुक्रिया ॥
आदरणीय हरे राम भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
खुबसूरत ग़ज़ल के लिए दाद कबूल कीजिए - आदरणीय गिरिराज जी
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