For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लेपटॉप ( लघुकथा )

" अम्मा , दद्दा , छुटके ! ई देखो , नए फिसनवा की पेटी । ऊ सहर की सड़क पे मिळत रही । "
" तनिक खोल तो मुनिया , कउनो गहना- जेबर भए तो दरोग़ा के बुलवाई के पड़ी ।"
" खोलत हैं अम्मा , ई का ? भीतर तो दर्पन चिपकत रही , वो भी ठुस्स भेसईंन रंगत ।"
" का कहत है ? फैंक अबहीं । जुरूर ई सुसरा सहर वाले कौनों जादू-टोना करके पटकत गईल ।"
" पर दद्दा , ई के भीतरे जो ढेर डिबियाँ जमत रहि , ऊ का , का ? "
" जिज्जी , तनक उहे बी तो .....का पता , कौनो गोली- बिस्किट ही धरें हों । "
" सैतान ! देखत हैं अबहीं ।दईया..... डिबिया भी जादुई निकली , देखों सबहिं , साक्षात् , राम , लक्ष्मण और सीता मैया प्रगट भये गए ।"

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 485

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 21, 2017 at 9:46pm

आंचलिक भाषा में यह कथा अच्छी हुई है आदरणीया शशि जी | हार्दिक बधाई |

Comment by shashi bansal goyal on July 14, 2015 at 7:55pm
आद0 सौरभ पाण्डेय जी हार्दिक आभार व धन्यवाद रचना को अपना अमूल्य समय देने हेतु । रचना प्रस्तुतीकरण में हुई कमी के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ । भविष्य में और बेहतर करने का प्रयास करुँगी । सादर ।
Comment by shashi bansal goyal on July 14, 2015 at 7:36pm
आद0 अमन जी बहुत धन्यवाद एवं आभार आपका । सादर ।
Comment by shashi bansal goyal on July 14, 2015 at 7:35pm
आद0 गिरिराज जी हार्दिक आभार एवं धन्यवाद सराहना हेतु ।सादर ।
Comment by shashi bansal goyal on July 14, 2015 at 7:34pm
रचना को अमूल्य समय देने हेतु हार्दिक आभार एवं धन्यवाद आद0 विनय जी ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 13, 2015 at 11:19pm

अवधी में आपकी लघुकथा मूल ब्लॉग में नहीं थी आदरणीया.. खैर ..

लघुकथा कई अर्थों में उत्सुकता तो पैदा करती है लेकिन आगे कुछ विशेष नहीं निकलता. खेद है, मुझे बहुत रुचिकर नहीं लगी, आदरणीया

सादर

Comment by aman kumar on July 6, 2015 at 2:27pm

ऊ सहर की सड़क पे मिळत रही । ?? 

उ कहिन कबाड़ में ना  मिल सकत ? 

अच्छी कथा है ! 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 6, 2015 at 10:53am

आदरणीय , आपकी लघु कथा अच्छी लगी , आपको हार्दिक बधाई ।

Comment by विनय कुमार on July 5, 2015 at 12:31pm

आँचलिक भाषा में लिखी एक सफल लघुकथा के लिए बधाई स्वीकारें आदरणीया शशि बंसल जी .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service