" सर , मैं हस्पताल पहुँच गया हूँ , कवर करता हूँ एक्सीडेंट की स्टोरी "|
" अच्छा तो आपने देखा उनको , सामने देखकर कैसा लगा ? रिपोर्टर की आवाज़ ने उसके दर्द में इज़ाफ़ा कर दिया |
" अरे इतने बड़े स्टार से मुलाक़ात तो हो गयी , लोग तो तरसते हैं दूर से भी एक झलक पाने के लिए , कुछ बताईये ", और भी कुछ कह रहा था वो लेकिन दर्द और क्रोध के उबाल में उसने रिपोर्टर का माइक छीन कर फेंक दिया |
" स्टार , स्टार लगा रखा है , मेरी टूटी हड्डियाँ तुम्हे नहीं दिखती , दफा हो यहाँ से "|
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी..
प्रस्तुति अच्छी है. अब प्रस्तुतीकरण पर भी ध्यान दें, आदणीय विनय जी.
शुभच्छाएँ
बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी जी ..
आदरणीय , मीडिया की असंवेदन शील्ता पर अच्छा कटाक्ष । बधाई आपको ।
बहुत बहुत आभार आदरणीया नीरज शर्मा जी , बस बेचना है खबर , चाहे जैसे..
बहुत बहुत आभार आदरणीय कृष्ण मिश्रा जान गोरखपुरी जी ..
असवेदंशील होते जा रहे मीडिया की पोल खोलती सुन्दर लघुकथा!बधाई आदरणीय!
अंतिम पंक्ति में सारा दर्द उबल कर बाहर आया है। अक्सर पत्रकार ऐसे टी आर पी बढ़ाने वाले सवाल पूछते हैं कि खून खौल उठता है। आम आदमी के दर्द का अहसास किसी को नहीं होता। सुन्दर कथा। साधुवाद।
बहुत बहुत आभार आदरणीय वीर मेहता जी, आप का सुझाव बेहतरीन है.
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