For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राजा और दरबार की, परलोक की-संसार की.
गाथा है भगवान् और इंसान के व्यवहार की.
शाप की-अभिशाप की, अनुराग की-वैराग की.
घात की-आघात की, कहीं छल- कपट-प्रतिघात की.
मिलन की-वियोग की, दुर्योग की- संयोग की.
नीति की-कुनीति की, कहीं रीति की- राजनीति की.
बात ये आचार की, विचार की- संस्कार की.
गाथा है भगवान् और इंसान के व्यवहार की.
ज़िन्दगी की- काल की, कहीं भूत की- बेताल की.
शास्त्र की- शास्त्रार्थ की, कहीं जादुई ब्रम्हास्त्र की.
नाथ की- अनाथ की, कहीं बात की- बेबात की.
अर्थ की- अनर्थ की, कहीं स्वार्थ की- परमार्थ की.
यह कहानी कुलबधु के लाज की- चीत्कार की.
गाथा है भगवान् और इंसान के व्यवहार की.
जीत की- कहीं हार की,कहीं हक - कहीं अधिकार की.
मान की- अपमान की, कहीं शान और स्वाभिमान की.
झूठ की- कहीं सत्य की, कहीं भक्ति की- कहीं शक्ति की.
कहीं मित्रता में त्याग की, कहीं जननी के दुर्भाग्य की.
लोभ की- कहीं क्षोभ की, कहीं दंड की- पुरस्कार की.
गाथा है भगवान् और इंसान के व्यवहार की.
गीतकार- सतीश मापतपुरी
मोबाइल- 9334414611

Views: 393

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Admin on June 11, 2010 at 2:39pm
सतीश भाई पूरे महाभारत महाग्रन्थ के सार को आपने कुछ शब्दों की परिसीमा मे जिस खूबसूरती से उकेरा है वो काबिले तारीफ है, बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति, धन्यबाद स्वीकार करे मेरा, जय हो ,

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on June 11, 2010 at 2:20pm
सुन्दर शब्दों के प्रयोग से एक कालजयी महाकाव्य का सार रखने का प्रयास है.....रचना सुन्दर बन पडी है......परन्तु कई जगह अपनी गेयता को खोती हुई प्रतीत होती है....इसको सुधारने का प्रयास करें.... आनन्द मिलेगा.......सादर.......
Comment by दुष्यंत सेवक on June 11, 2010 at 1:55pm
वाकई सार है, इतने खूबसूरत तरीके से इतने अच्छे शब्दों को गूँथ कर अपने महाभारत का जो वर्णन किया है वह निश्चय ही सराहनीय है बहुत सुंदर मापतपुरी जी
Comment by Rash Bihari Ravi on June 11, 2010 at 1:23pm
आपकी कलम की कमाल की इतनी अच्छी ख्याल की नहीं सब्द मेरे पास सिवा जय जय कर की

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के भी शेर अत्यंत प्रभावी बन पड़े हैं. हार्दिक बधाइयाँ…"
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"साथियों से मिले सुझावों के मद्दे-नज़र ग़ज़ल में परिवर्तन किया है। कृपया देखिएगा।  बड़े अनोखे…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. अजय जी ...जिस्म और रूह के सम्बन्ध में रूह को किसलिए तैयार किया जाता है यह ज़रा सा फ़लसफ़ा…"
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"मुशायरे की ही भाँति अच्छी ग़ज़ल हुई है भाई नीलेश जी। मतला बहुत अच्छा लगा। अन्य शेर भी शानदार हुए…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post उस मुसाफिर के पाँव मत बाँधो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद और बधाइयाँ.  वैसे, कुछ मिसरों को लेकर…"
17 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"हार्दिक आभार आदरणीय रवि शुक्ला जी। आपकी और नीलेश जी की बातों का संज्ञान लेकर ग़ज़ल में सुधार का…"
17 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"ग़ज़ल पर आने और अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए आभार भाई नीलेश जी"
17 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"अपने प्रेरक शब्दों से उत्साहवर्धन करने के लिए आभार आदरणीय सौरभ जी। आप ने न केवल समालोचनात्मक…"
17 hours ago
Jaihind Raipuri is now a member of Open Books Online
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post ठहरा यह जीवन
"आदरणीय अशोक भाईजी,आपकी गीत-प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ  एक एकाकी-जीवन का बहुत ही मार्मिक…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. रवि जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"स्वागत है आ. रवि जी "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service