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हाइकू

मित्र हैं वही
जो न तोड़े विश्वास
शेष तो साथी

दूसरों पर
न करो दोषारोपण
यही बहुत

परोपकार
खुशबू चन्दन
करुना बसी

निराश न हों
असफलता देती
प्रेरणा नई

धन प्राप्ति से
दरिद्रता न मिटे
वित्तेष्णा छोडो

खरीददारी में
खुश होने का भ्रम
पाले रईस

जुंबा पर आये
पुरानी कई यादें
प्यार बढाए

कह के बात
खुले मन की गांठ
अपने आप

माँ का गुस्सा
क्रोध नहीं प्यार था
अब समझा
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 384

Comment

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Comment by Manisha Saxena on July 13, 2015 at 11:57pm

आप सभी का धन्यवाद ,मेरा उत्साह और बढ़ गया |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 13, 2015 at 3:48pm

बहुत अच्छे हाइकू लिखे है आपने इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

Comment by narendrasinh chauhan on July 13, 2015 at 1:50pm

लाजवाब 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on July 13, 2015 at 12:30pm

कह के बात 
खुले मन की गांठ 
अपने आप-- बहुत   बढ़िया , शिक्षा  प्रद भी, सादर बधाई  

कृपया ध्यान दे...

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