परीक्षाहाल से गणित का प्रश्नपत्र हल कर बाहर निकले रवि ने चहकते हुए जवाब दिया, “ निजी विद्यालय में पढ़ने का यही लाभ है कि छात्रहित में सब व्यवस्था हो जाती है.”
“अच्छा .” कहीं दिल में सोहन का ख्वाब टूट गया था.
“चल . अब , उत्तर मिला लेते हैं.”
“चल.”
प्रश्नोत्तर की कापी देखते ही रवि के होश के साथ-साथ उस के ख्वाब भी भाप बन कर उड़ चुके थे. वही सोहन की आँखों में मेहनत की चमक तैर रही थी .
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मौलिक व अप्रकाशित
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आदरणीय ओम जी, बेहतरीन शिक्षाप्रद लघुकथा लिखी है!मेहनत का मोल अनमोल है!हार्दिक बधाई!
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