For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - कैसे बच्चों में सादगी होगी -- ( गिरिराज भंडारी )

2122    1212     22 /112

सुर्मई, शाम हो रही होगी

रात दस्तक भी दे चुकी होगी

 

रात के हक़ में गर अंधेरा है

सुब्ह के हक़ में रोशनी होगी

 

दिल ठहर, बस नज़र मिला उनसे

मिल गईं गर, तो बात भी होगी

 

जिस तरह जी रही थी अब तक तू

ज़िन्दगी सच में थक गई होगी

 

बंद आखें थी , होठ चुप चुप थे

गुफ्तगू किस तरह हुई होगी

 

जागी रातों में जो रुलाती थी

वो मेरी रूहे शाइरी होगी 

 

माँ-पिता गर सजे धजे इतना

कैसे बच्चों में सादगी होगी

**************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 712

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 24, 2015 at 7:13am

आदरणीया प्राची जी,  आपने गज़ल के चार चार शे र चुन कर मेरी मेहनत सफल कर दी । उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय तल से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 24, 2015 at 7:11am

आदरणीय शिज्जु भाई , बहुत दिनो बाद आपको देख के अच्छा लगा ! गज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 24, 2015 at 7:10am

आदरणीय सौरभ भाई , आपकी सराहना ने गज़ल का मान बढ़ा दिया । उत्साह वर्धन के लिये आपका आभारी हूँ ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 23, 2015 at 10:09pm

वाह! आदरणीय गिरिराज भंडारी जी 

बहुत ही नजाकत से कहे गए पुरअसर अशआर हुए हैं..

दिल ठहर, बस नज़र मिला उनसे

मिल गईं गर, तो बात भी होगी...................अहा! अहा! क्या बात है 

 

जिस तरह जी रही थी अब तक तू

ज़िन्दगी सच में थक गई होगी..............हासिले ग़ज़ल शेर 

 

जागी रातों में जो रुलाती थी

वो मेरी रूहे शाइरी होगी ....................वाह ! वाह! 

 

माँ-पिता गर सजे धजे इतना

कैसे बच्चों में सादगी होगी........................बहुत ही खूबसूरत शेर 

दिली बधाई पेश है आदरणीय 

स्व्वीकार करें 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 23, 2015 at 4:31pm

वाह बहुत बढ़िया आदरणीय गिरिराज सर बहुत बहुत बधाई आपको


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 23, 2015 at 4:20pm

ज़िन्दग़ी सच में थक गयी होगी .. वाह वाह क्या मिसरा निकाला है आपने !
माँ-पिता गर सजे धजे इतना
कैसे बच्चों में सादगी होगी
जय हो..
आपके कमाल में शरीक होना अच्छा लगता है.
दाद दाद दाद !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 23, 2015 at 12:40pm

आदरणीय महर्षि भाई , सराहना के लिये आपका आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 23, 2015 at 12:39pm

आदरणीय समर कबीर भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 23, 2015 at 12:39pm

आदरणीय राहुल भाई , सराहना के लिये आभार आपका ।

Comment by maharshi tripathi on July 22, 2015 at 9:12pm

बढ़िया गजल हुई है ,सर ,बधाई  आपको |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service