For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“ये देखो विज्ञान आज कितनी तरक्की कर रहा है कितनी अद्दभुत मशीन बना डाली, पुरुष भी महसूस करके देख सकते हैं अब प्रसव वेदना को|" टाइम्स ऑफ़ इण्डिया में हेडिंग Chinese men get a taste of labor pain with a machine को पढ़ते हुए प्रोफ़ेसर बक्शी अपनी पत्नी से अचानक बोल उठे

”पापा क्या कभी कोई ऐसी मशीन भी बन पाएगी जो रेप के दर्द को भी पुरुष महसूस कर सकें” थोड़ी दूरी पर बैठी बेटी के अचानक इस प्रश्न ने पापा को अन्दर तक झिंझोड़ कर रख दिया बेटी के सिर पर हाथ फिराते हुए अपनी आँखों में आये  आँसुओं को छुपाने के लिए अन्दर चले गए|   

(मौलिक एवं अप्रकाशित)  

Views: 762

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 31, 2015 at 10:14am

आ० डॉ० आशुतोष मिश्रा जी,इस लघु कथा पर आपकी प्रतिक्रिया से अभिभूत हुई आपके इस मुखर अनुमोदन ने मेरा लिखना  सार्थक कर दिया दिल से बहुत- बहुत आभार आपका | 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 30, 2015 at 2:34pm

आदरणीया राज जी आपकी लघुकथाए हमेशा एक लम्बे अंतराल के बाद पढने को मिलती हैं ..लेकिन हर लघु कथा में इतने गहरी बात होती है की दिल में उतर जाती है ..इस कथा को पढ़कर सम्बेदन हीन में भी सम्बेदना जाग जायेगी ..कमाल की इस रचना के लिए ह्रदय से बधाई सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 29, 2015 at 5:06pm

विनय कुमार जी ,लघु कथा के मर्म को महसूस कर किये गए अनुमोदन हेतु आपका दिल से शुक्रिया | सच तो ये है कि जब अपनी बहू बेटी पर बीतती है तो महसूस होता है इस दुनिया के अधिकाँश लोगों की ऐसी ही मानसिकता है क्या करें बहुत कष्ट होता है ये सब पढ़ सुनकर 

दिल से आभार आपका 

Comment by विनय कुमार on July 29, 2015 at 3:40pm

रेप के दर्द को तो उस लड़की का पिता तो बखूबी महसूस करता है लेकिन उस पुरुष को क्या कहें जो यह अमानवीय कृत्य करता है | बहुत बेहतरीन लघुकथा इस संवेदनशील विषय पर , बधाई आदरणीया राजेश कुमारी जी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 29, 2015 at 8:46am

लघु कथा के अनुमोदन के लिए दिल से आभार अर्चना त्रिपाठी जी .

Comment by Archana Tripathi on July 29, 2015 at 1:16am
अत्यंत चुभता हुआ प्रश्न बेटी द्वारा ।करारा प्रहार करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई राजेश कुमारी जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 28, 2015 at 9:43pm

आ० नीता कसर जी ,आपका दिल से बहुत बहुत आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 28, 2015 at 9:42pm

प्रतिभा पाण्डेय जी,आपको लघुकथा पसंद आई आपका दिल बहुत -बहुत शुक्रिया.  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 28, 2015 at 9:41pm

आ० विनोद खनगवाल जी,लघु कथा पर आपका मुखर अनुमोदन मुझे हर्षित करने के साथ इसके प्रति आश्वस्त भी कर रहा है आपका दिल से बहुत- बहुत आभार  आपका परामर्श स्वागत योग्य है इंग्लिश की पंक्ति को  हिंदी लिपी में कर दूँगी|

Comment by Nita Kasar on July 28, 2015 at 9:31pm
महिला मन की व्यथा कथा दर्शाती संवेदनशील कथा है आदरणीया राजेश कुमारी जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service