For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

साजन का होने को है दीदार लिखो (सावन ऋतु पर एक हिंदी ग़ज़ल 'राज')

 

धरती का नूतन नखशिख सिंगार लिखो

सावन लाया है  मोती के  हार लिखो

 

दादुर मोर मयूरी का आभार लिखो

नदियों नालों में जल का विस्तार लिखो

 

पत्ता पत्ता डाली डाली झूम रही

बूँदे बूँदे चूम रही हैं प्यार लिखो

 

प्यास बुझाती कुदरत कितने प्यासों की

तिनके तिनके पर उसका उपकार लिखो

 

खेतों खेतों  धान उगाते हैं हाली

भेज रहे बादल जल का उपहार लिखो 

 

सागर नदिया लहरों की रफ़्तार गजब   

नैया बहती जाये  बिन पतवार लिखो

 

आमों की डाली पर तीजो के झूले

आया सावन में फिर ये त्यौहार लिखो

 

कैसे झेले मार कड़कती चपला की  

बूढा बरगद है कितना बीमार लिखो

 

बाहर बदरा नैनों में बरसात हुई

साजन की यादों से हैं बेजार लिखो 

 

राहें तकती हैं कबसे बिरहन अँखियाँ

साजन का होने को है दीदार लिखो

 

पल पल रंग बदलते फिरते बौराये

पागल मेघों का नभ पर अधिकार लिखो

मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

 

Views: 654

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 3, 2015 at 7:28pm

हर्ष महाजन जी,आपको ये प्रस्तुति अच्छी लगी दिल से आभार प्रेषित करती हूँ | 

Comment by Harash Mahajan on August 3, 2015 at 7:23pm

आदरणीय rajesh kumari जी वाह हर शेर भाव पूर्ण

"कैसे झेले मार कड़कती चपला की  

बूढा बरगद है कितना बीमार लिखो".....ये दिल को छू गया ....दाद ......वसूल पाइयेगा !!

साभार !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 3, 2015 at 7:19pm

आ० सौरभ जी ,ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना पाकर मन खुश हो गया मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत आभार आपका .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 3, 2015 at 7:18pm

राहुल दांगी जी ,आपका तहे दिल से शुक्रिया प्रभूत आभार .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 3, 2015 at 7:17pm

मिथिलेश भैया पोस्ट पर देर से आने का खेद है दो दिन से नेट ने परेशान किया हुआ था आज जाकर ठीक हुआ |आपको सावन के लिए लिखी ये ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आभारी हूँ |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2015 at 3:54am

कैसे झेले मार कड़कती चपला की
बूढा बरगद है कितना बीमार लिखो

पल पल रंग बदलते फिरते बौराये
पागल मेघों का नभ पर अधिकार लिखो

इन दो अश’आर के बरअक्स आपकी इस कोमलकान्त भावांजलि के हार्दिक शुभकामनाएँ \अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीया राजेशजी.

Comment by Rahul Dangi Panchal on August 1, 2015 at 2:45pm
आदरणीया बहुत सुन्दर गजल हुई है बधाइयाँ

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 1, 2015 at 10:41am

मिथिलेश भैया ,ग़ज़ल पर सबसे पहले पाठक टिप्पणीकार के रूप में आपका हार्दिक स्वागत है आपको प्रस्तुति पसंद आई मेरा लिखना सफल हुआ दिल से आभारी हूँ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 1, 2015 at 2:48am

आदरणीया राजेश दीदी शानदार ग़ज़ल हुई है. शेर दर शेर दाद हाज़िर है.

इन तीन अशआर पर दिल से दाद कुबूल फरमाएं -

कैसे झेले मार कड़कती चपला की  

बूढा बरगद है कितना बीमार लिखो

 

राहें तकती हैं कबसे बिरहन अँखियाँ

साजन का होने को है दीदार लिखो

 

पल पल रंग बदलते फिरते बौराये

पागल मेघों का नभ पर अधिकार लिखो

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
3 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service