For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आशा का लाभ (लघुकथा)

बर्न वार्ड के बाहर भैंसे  पर सवार यमराज खड़े थे 

" प्रभु क्या सोच रहे हैं ? जल्दी प्राण हरिये और चलिए I आप तो मेरे ऊपर सवार घंटे भर से उस स्त्री को देखे जा रहे हैं,मेरी पीठ की दशा का भी कुछ ध्यान है ?"

"इस पुरुष ने अपनी पत्नी को जलाने का प्रयास किया और स्वयं जल गया I और ये स्त्री ,अपने सारे गहने बेच कर इसका इलाज करवा रही है, देखो कैसे बदहवास बाहर खड़ी रोये जा रही है Iमैं सोच रहा हूँ पुत्र ..............."

"कि इसके प्राण छोड़ दूं .,यही ना प्रभु ?और ये पुरुष ठीक होकर फिर से पत्नी को प्रताड़ित करे "

"ये भी तो हो सकता है कि सुधर जाये Iक्यों न इसको दे ही दिया जाय?"   

"क्या प्रभु ? बेनिफिट ऑफ़ डाउट ?"

"नहीं पुत्र, बेनिफिट ऑफ़ होप "

.

मौलिक व् अप्रकाशित

Views: 805

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Omprakash Kshatriya on August 14, 2015 at 7:23am

!! वाह !! लघुकथा जोरदार बनी है. बधाई आप को.

Comment by pratibha pande on July 29, 2015 at 9:49pm

आ० कांता रॉय जी , इस प्रयास की सराहना के लिए आपकी ह्रदय से आभारी हूँ 

Comment by pratibha pande on July 29, 2015 at 9:48pm

आ० विनय कुमार जी ,ये होप ही है ,जो संसार को चला रही है , प्रयास की सराहना के लिए आपका आभार 

Comment by kanta roy on July 29, 2015 at 5:44pm
वाह!!!!! पढते ही दिल कह उठा .... बहुत ही उम्दा रचना हुई है यह. सच ही है आशा की एक किरण.... बधाई स्वीकार करें इस सार्थक रचना के लिये.
Comment by विनय कुमार on July 29, 2015 at 3:34pm

// बेनिफिट ऑफ़ होप // , बहुत उम्दा | सम्भावना तो हमेशा बरक़रार रहती है सुधार की और ये पत्नियां देख भी लेती हैं | बहुत बढ़िया लघुकथा , बधाई आदरणीया.

Comment by pratibha pande on July 29, 2015 at 2:05pm

इतने खूबसूरत शब्दों में की गई आपकी टिपण्णी के लिए आपका आभार आ० हर्ष महाजन जी 

Comment by pratibha pande on July 29, 2015 at 2:03pm

कथा की सराहना के लिए आपका आभार आ० वीरेन्द्र वीर जी 

Comment by pratibha pande on July 29, 2015 at 2:01pm

सही कहा  आपने आ० प्रशांत जी कि महिलाऐं दया की मूर्ती होती हैं  और शायद इसी कारण पुरुष मनमानी को अपना जन्म सिद्ध अधिकार मान लेते हैं , कथा की सराहना के लिए आपका  ह्रदय से आभारI 

Comment by Harash Mahajan on July 29, 2015 at 12:40pm

 pratibha pande जी ...अद्भुत अहसास लिए आपकी सोच ..!! सच में ऐसा भी तो होता ही होगा....!! यहाँ कर्मों का खेल भी तो है !! हो सकता है उस मोहतरमा के अच्छे कर्म उस शख्स को जीवन दान दिला गया !! मगर ये निर्भर करता है उस स्त्री के सच्चे प्यार पर | प्रतिभा जी ढेरों दाद वसूल पाइयेगा ||

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on July 28, 2015 at 10:58pm
आदः रचना में दिखाये तथ्य काल्पनिक सही लेकिन उसके माध्यम से स्त्री की अपने जीवन साथी के प्रति कैसी मानसिकता होती है इस को सफलता के साथ दिखाया गया है। इस सफल रचना के लिये सादर बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service