पांच दिनों की लगातार बारिश के बाद कल शाम से आसमान साफ़ है और आज सुबह से सूरज खिला है
जॉगर्स पार्क में आज रौनक है I पार्क का योगा हॉल ' हा हा हो हो ' से गूँज रहा है , एक तरफ खुल कर हंसने की और दूसरी तरफ सूर्य नमस्कार की कवायद जारी हैI
बुधवा ने अपनी झुग्गी से बाहर निकल कर आसमान की तरफ देखाऔर चिल्लाया
"अरे अम्मा i सूरज देवता आय गए हैं , परेसान मत हो , आज तो दिहाड़ी मिल ही जाएगी , रासन भी ले आऊँगा और तेरी दवाई भी "
उसका मन किया झुग्गी के बाहर भरे पानी में खूब उछले और जोर जोर से हँसे I उसने चमकते सूरज को देखा और कृतज्ञता से नमस्कार किया I
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
Budhvaa aur joggers park ek doosre se physically nahin jude hain par symbolically jude hain. teen cheezon se ,suraj , namaskar aur hansi . Budhva ki hansi aur namaskaar ka origin antas se upji khushi aur suraj ke prati kritagyata hai vahin doosri taraf joggers park me ye sab ek exercise ke roop me ho rahaa hai . sampann logon ke liye paanch din ki baarish sirf unke routine ko thoda sa hilati hain vahin Budhvaa jaise dihadi mazdoor ke yahan baarish se fanko ki naubat aa jati hai . shayad katha apna marm poori tarah se preshit nahin kar pai . Aap katha par aaye aapka hriday se aabhar ,respected Mithilesh ji
आदरणीया प्रतिभा जी बढ़िया लघुकथा हुई है. हार्दिक बधाई.
लघुकथा के दोनों दृश्य अलग-अलग है एक पार्क और दूसरा झुग्गी........दृश्यों को "शोर सुनकर बुधवा अपनी झुग्गी से बाहर निकला" या ऐसा ही कुछ कर जोड़ा जा सकता है. सादर
aap ek shabd par gaur farmayen. 'kavaayad' sampann varg ke liye khul kar hansna aur sury namaskar sahaj nahin hai ,sirf ek exercies hai vahin sury ko dekhakar budhvaa ke antas se khushi ki hansi footi aur sury ke prati man
se kritagyata jaagi kyonki lagataar baarish se naa use dihadi mili na uske ghar choolha jala . dono jagah hansi aur namaskaar hai par paristhitiyon me jameen aasman ka antar hai katha par aane ke liye aapka aabhar. prashant ji
आ. प्रतिभा जी, जहाँ तक मेरी समझ है, सामाजिक विषमता पर कुठाराघात आपकी कहानी में परिलक्षित है, और अपने उद्देश्य में सफल रही है आपकी यह कथा. प्रस्तुति के लिए हार्दिक साधुवाद!!
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