“आज फ्रेंडशिप डे है मगर ये डिसिप्लिन साला!....... सेलिब्रेट भी नहीं कर सकते.”
“आर्मी लाइफ है ब्रदर.”
“सुना, अमेरिका में ईराक पर हमले का अमेरिकी सैनिकों के साथ-साथ सिविलियन भी विरोध कर रहे है.”
“हाँ यार...... इतने पावरफुल देश की सेना में डिसिप्लिन ही नहीं है क्या?”
“अच्छा.... अगर इन्डियन आर्मी पाकिस्तान पर हमला करें तो क्या यहाँ भी विरोध होगा?”
“ अबे गद्दारों जैसी बात मत कर.......हमारा देश, राष्ट्रभक्तों का देश हैं. इसकी बुनियाद में ही......”
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आदरणीया प्रतिभा जी, लघुकथा की सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. आपका बहुत बहुत धन्यवाद ..
आदरणीय विनय जी आप जैसे लघुकथाकार से सराहना और प्रशंसा पाना मेरे लिए मायने रखता है. सकारात्मक व उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार....
वाह , वाह , अद्भुत लघुकथा | संकेतों में बहुत गूढ़ बात , एक नए कलेवर की रचना | बहुत बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी.
आदरणीया राजेश दीदी, लघुकथा की सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. आपके उत्साहवर्धन के सदैव रचनाकर्म को बल मिलता है ... बहुत बहुत धन्यवाद ... नमन
आदरणीय डॉ विजय शंकर सर, आप जैसे गंभीर विचारक और विश्लेषक का रचना पर अनुमोदन पाकर आश्वस्त हुआ हूँ. लघुकथा के मर्म तक पहुंचकर सार्थक प्रतिक्रिया देने के लिए आपका हृदय से आभारी हूँ. सादर
बहुत बहुत आभार आदरणीया कांता रॉय जी.
आदरणीय आशुतोष जी, लघुकथा के मर्म तक पहुँच कर सार्थक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. जिन संकेतों को उजागर करने के लिए ये लघुकथा हुई है, आपने उन संकेतों को महसूस करते हुए संकेतों में ही अनुमोदन और सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है. आपके भीतर के जागरूक पाठक को नमन करते हुए हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ. सादर
आदरणीय सौरभ सर, लघुकथा के मर्म के सापेक्ष आपकी सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया मेरे लिए बहुत मायने रखती है. आपने लघुकथा के शिल्प पर जो बातें साझा की है, वो लघुकथा विधा पर कई दिनों से मेरे भी अवचेतन मन में कहीं उमड़ घुमड़ रही थी, बस चेतन तक नहीं पहुंची और इस सहजता से शाब्दिक नहीं कर पाया. न मन में और न मंच पर.
आपने जिस सहजता से लघुकथा के शिल्प पर मार्गदर्शन प्रदान किया है वह मुग्ध कर रहा है. जैसे अपनी दबी हुई भावनाओं को शाब्दिक होता हुआ देख रहा हूँ. आपने सही कहा- लघुकथा की विधा, जैसा कि अबतक के जुड़ाव में मैंने समझा है,.......अपने विन्यास में अत्यंत संयत व्यंजनामूलक ’कविता’ की तरह सांकेतिक विन्यास चाहती है. अत्यंत आवश्यक शब्दों में इंगितों और बिम्बों का अनुशासित उपयोग करने का नाम यदि कविताकर्म है, तो यही गद्य क्षेत्र में लघुकथा के लिए भी सच है.
आपने मेरे प्रयास का जिन शब्दों में अनुमोदन किया है वह न केवल अत्यंत ख़ुशी दे रहा है, बल्कि दायित्व बोध से भी मन को भर रहा है. आपने स्नेह और मार्गदर्शन के लिए नमन.
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