For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बुनियाद (लघुकथा) - मिथिलेश वामनकर [अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस पर ]

“आज फ्रेंडशिप डे है मगर ये डिसिप्लिन साला!....... सेलिब्रेट भी नहीं कर सकते.”

“आर्मी लाइफ है ब्रदर.”

“सुना, अमेरिका में ईराक पर हमले का अमेरिकी सैनिकों के साथ-साथ सिविलियन भी विरोध कर रहे है.”

“हाँ यार...... इतने पावरफुल देश की सेना में डिसिप्लिन ही नहीं है क्या?”

“अच्छा.... अगर इन्डियन आर्मी पाकिस्तान पर हमला करें तो क्या यहाँ भी विरोध होगा?”

“ अबे गद्दारों जैसी बात मत कर.......हमारा देश, राष्ट्रभक्तों का देश हैं. इसकी बुनियाद में ही......”

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 1079

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 4, 2015 at 12:44am

आदरणीया प्रतिभा जी, लघुकथा की सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. आपका बहुत बहुत धन्यवाद ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 4, 2015 at 12:43am

आदरणीय विनय जी आप जैसे लघुकथाकार से सराहना और प्रशंसा पाना मेरे लिए मायने रखता है. सकारात्मक व उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार.... 

Comment by pratibha pande on August 3, 2015 at 8:20pm
हम तो उन्हें फ्रेंडशिप बैंड बांधते ही आ रहे हैं कब से, उनके आकाओं को दिखे तो . सशक्त रचना के लिए बधाई आ० मिथिलेश जी
Comment by pratibha pande on August 3, 2015 at 8:20pm
हम तो उन्हें फ्रेंडशिप बैंड बांधते ही आ रहे हैं कब से, उनके आकाओं को दिखे तो . सशक्त रचना के लिए बधाई आ० मिथिलेश जी
Comment by विनय कुमार on August 3, 2015 at 1:54pm

वाह , वाह , अद्भुत लघुकथा | संकेतों में बहुत गूढ़ बात , एक नए कलेवर की रचना | बहुत बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 3, 2015 at 1:53pm

आदरणीया राजेश दीदी, लघुकथा की सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. आपके उत्साहवर्धन के सदैव रचनाकर्म को बल मिलता है ... बहुत बहुत धन्यवाद ... नमन 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 3, 2015 at 1:50pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर, आप जैसे गंभीर विचारक और विश्लेषक का रचना पर  अनुमोदन पाकर आश्वस्त हुआ हूँ. लघुकथा के मर्म तक पहुंचकर सार्थक प्रतिक्रिया देने के लिए आपका हृदय से आभारी हूँ. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 3, 2015 at 1:47pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया कांता रॉय जी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 3, 2015 at 1:38pm

आदरणीय आशुतोष जी, लघुकथा के मर्म तक पहुँच कर सार्थक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. जिन संकेतों को उजागर करने के लिए ये लघुकथा हुई है, आपने उन संकेतों को महसूस करते हुए संकेतों में ही अनुमोदन और सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है. आपके भीतर के जागरूक पाठक को नमन करते हुए हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 3, 2015 at 1:33pm

आदरणीय सौरभ सर, लघुकथा के मर्म के सापेक्ष आपकी सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया मेरे लिए बहुत मायने रखती है. आपने लघुकथा के शिल्प पर जो बातें साझा की है, वो लघुकथा विधा पर कई दिनों से मेरे भी अवचेतन मन में कहीं उमड़ घुमड़ रही थी, बस चेतन तक नहीं पहुंची और इस सहजता से शाब्दिक नहीं कर पाया. न मन में और न मंच पर.

आपने जिस सहजता से लघुकथा के शिल्प पर मार्गदर्शन प्रदान किया है वह मुग्ध कर रहा है. जैसे अपनी दबी हुई भावनाओं को शाब्दिक होता हुआ देख रहा हूँ. आपने सही कहा-  लघुकथा की विधा, जैसा कि अबतक के जुड़ाव में मैंने समझा है,.......अपने विन्यास में अत्यंत संयत व्यंजनामूलक ’कविता’ की तरह सांकेतिक विन्यास चाहती है. अत्यंत आवश्यक शब्दों में इंगितों और बिम्बों का अनुशासित उपयोग करने का नाम यदि कविताकर्म है, तो यही गद्य क्षेत्र में लघुकथा के लिए भी सच है.

आपने मेरे प्रयास का जिन शब्दों में अनुमोदन किया है वह न केवल अत्यंत ख़ुशी दे रहा है, बल्कि दायित्व बोध से भी मन को भर रहा है. आपने स्नेह और मार्गदर्शन के लिए नमन. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
6 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
Friday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service