For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: जब-जब किसी परिंदे ने पंख फड़फड़ाए - सुलभ

बहर - 22 12122 22 12122 

जब-जब किसी परिंदे ने पंख फड़फड़ाए
वो बदहवास होकर ख़ंजर निकाल लाए

दुनियाँ की चाल चलनी जिस रोज़ से शुरू की
अपनी निगाह से हम गिर के फिर उठ न पाये

वो जानते हैं उनका भगवान जानता है
कानून से भले ही सब जुर्म बख्शवाये

रोज़े खतम न हों तो, क्या चाँद का निकलना
हम ईद मान लेंगे जब चाँद मुस्कुराये

मंजि़ल थी क़ामयाबी, ऊँचा महल अटारी
ईमान बेच आये, ईंटें ख़रीद लाये

हर फूल के बदन को घावों से भर दिया है
नाख़ून को थे नाहक़ ही दस्तख़त सिखाये

अच्छे दिनों की खातिर करतब किये हज़ारों
जब भी बुरे दिन आये, आये बिना बुलाये

मौलिक और अप्रकाशित

-------- सुलभ अग्निहोत्री

Views: 618

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pratibha pande on August 12, 2015 at 9:41pm
'दुनिया की चाल चलनी जिस रोज़ से शुरू की ,अपनी निगाह ......'सशक्त रचना ,बधाई प्रेषित करती हूँ आपको आ० सुलभ जी
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 12, 2015 at 7:49pm

मंजि़ल थी क़ामयाबी, ऊँचा महल अटारी
ईमान बेच आये, ईंटें ख़रीद लाये

मुझे ज्यादा अच्छी लगी वैसे हर शेर अपनी जगह पर अपनी आवाज खुद बुलंद कर रहा है. सादर सुलभ अग्निहोत्री जी!

Comment by Sulabh Agnihotri on August 12, 2015 at 12:52pm

बहुत-बहुत आभार laxman dhami जी !

Comment by Sulabh Agnihotri on August 12, 2015 at 12:52pm

बहुत-बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी जी !

Comment by Sulabh Agnihotri on August 12, 2015 at 12:51pm

बहुत-बहुत आभार Dr Ashutosh Mishra जी !

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 12, 2015 at 11:07am

अच्छे दिनों की खातिर करतब किये हज़ारों
जब भी बुरे दिन आये, आये बिना बुलाये

आ0 सुलभ भाई , बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 11, 2015 at 9:19pm

आदरणीय सुलभ भाई , वाह ! क्या गज़ल कही है , लाजवाब , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 11, 2015 at 6:13pm

मंजि़ल थी क़ामयाबी, ऊँचा महल अटारी
ईमान बेच आये, ईंटें ख़रीद लाये आदरणीय सुलभ जी इस बेहतेरीन ग़ज़ल के तहे दिल दाद स्वीकार करें ..उद्धृत शेर बेहद पसंद आया  सादर 

Comment by Sulabh Agnihotri on August 11, 2015 at 3:08pm

बहुत-बहुत आभार Ravi Shukla जी !

Comment by Ravi Shukla on August 11, 2015 at 1:17pm

आरणीय सुलभ जी

क्‍या बात है

रोज़े खतम न हों तो, क्या चाँद का निकलना
हम ईद मान लेंगे जब चाँद मुस्कुराये ... शान दार शेर दाद कुबूल करें

हर फूल के बदन को घावों से भर दिया है
नाख़ून को थे नाहक़ ही दस्तख़त सिखाये ...इस शेर के कथ्‍य के लिये दिली दाद कुबूल करें

अच्‍छी ग़ज़ल । आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
9 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service