For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पारिभाषिक पेटेंट (लघुकथा)

लघुकथा – पारिभाषिक पेटेंट

“ जनता का , जनता द्वारा, जनता पर शासन- अब्राहिम लिंकन.”

“ शाबाश बेटा.” शिक्षक के आँखों में चमक आ गई, “ अब कौन बताएगा ?”

“ सर ! मैं बताऊँ ?”

“ अरे ! तू बताएगा. कभी स्कूल समय से आया नहीं. प्रश्नोत्तर लिखे नहीं. रोज कामधंधे पर जाता है. तू क्या जानता है इस बारे में. चल तू भी बता दे ?”

“ सर ! हमारे द्वारा, हम पर शासन.”

यह सुन कर शिक्षक को एकलव्य और गुरु द्रोण याद आ गए , “ ओह ! यह तो प्रजातंत्र पर मेरी पारिभाषिक खोज हो सकती है.”

                            ----------------------

१६/०८/२०१५ ( मौलिक और अप्रकशित )

Views: 686

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Omprakash Kshatriya on August 22, 2015 at 8:27am
आभार आदरणीय कांता रॉय जी । आप को लघुकथा सुन्दर लगी । आप ने लघुकथा को अपना समर्थन दिया ।
Comment by kanta roy on August 21, 2015 at 7:24am
बहुत ही सुंदर लघुकथा बनी है आदरणीय ओमप्रकाश जी , बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Omprakash Kshatriya on August 19, 2015 at 7:35pm
आ जवाहर लाल सिंह जी आप का कथन 100 प्रतिशत सही है । यही प्रजातंत्र है । शुक्रिया लघुकथा पर समय सेने के लिए आप का ।
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 19, 2015 at 12:10pm

 "हमारे द्वारा, हम पर शासन" बहुत सुन्दर! यही तो हो रहा है गरीबों के नाम पर गरीबों का उपहास !

Comment by Omprakash Kshatriya on August 18, 2015 at 7:57pm
आदरणीया राजेश कुमारी जी आप ने लघुकथा को उदहारण दे कर अपना समर्थन दिया है वह काबिले तारीफ है । आप के इस अनुमोदन हेतु तहेदिल से शुक्रिया ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 18, 2015 at 6:33pm

बहुत बढ़िया लघु कथा ,एक बार एक मूवी देखी थी शायद सुर नाम था जिसमे शिष्या की धुन लेकर गुरु ने अपनी  बना ली  थी सच कहा ऐसे भी पेटेंट अपने नाम किये जाते हैं.बहुत बहुत बधाई आपको आ० ओम प्रकाश जी  

Comment by Omprakash Kshatriya on August 18, 2015 at 4:05pm
आ लक्ष्मण जी आप के अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार आप का ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 18, 2015 at 10:32am

आ0 भाई ओमप्रकाश जी , इस अच्छी लधुकथा के लिए हार्दिक बधाई ।

Comment by Omprakash Kshatriya on August 17, 2015 at 1:44pm
आप को लघुकथा अच्छी लगी । इस के लिए शुक्रिया आ मिथिलेश जी
Comment by Omprakash Kshatriya on August 17, 2015 at 1:41pm
आ मिथिलेश जी आजकल पेटेंट ऐसे भी अपने नाम होते है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service