“तुम ऐसा नहीं कर सकते आकाश, तुम इस तरह मुझे धोखा नहीं दे सकते I”
“परी मैं तुम्हें धोखा नहीं दे रहा हूँ मैं तो उल्टे तुम्हें सच बता रहा हूँ I अगर मैं चाहता तो दोनों रिलेशंस बनाये रखकर तुम्हें आसानी से चीट कर सकता था पर मैंने ऐसा नहीं किया क्योंकि मैं झूठ में विश्वास नहीं करता I जब हमारे रिश्ते में कुछ बचा ही नहीं है तो फिर इसे घिसटने का कोई मतलब नहीं है कम से कम अब तुम मुझसे आज़ाद होकर अपने जीवन की नयी शुरुआत तो कर सकती हो वैसे भी अगर यह सब हमारी शादी के बाद होता तो तुम्हें अधिक दुख पहुँचता I”
“हमारे रिश्ते में अगर कुछ नहीं बचा है तो वह है तुम्हारा प्यार , वरना मैंने इस रिश्ते को निभाने में कभी कोई कमी नहीं रखी I तुम्हें मेरे दुख का अहसास तब होगा जब कोई तुम्हारी बहन के भी साथ ऐसा ही करेगा I”
"खबरदार परी ! अगर आइन्दा मेरी बहन के बारे में इस तरह से बात की तो... मैं भूल जाऊँगा कि मेरा कभी तुमसे कोई रिश्ता था और तुम्हें क्या लगता है मैं उस इंसान को छोड़ दूँगा उसका खून न कर दिया तो मैं भी अपने बाप की औलाद नहीं...."
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
बहुत-बहुत बधाई इस शानदार लघु कथा के लिए सादर |
रिश्तों की टूटन दुखदाई तो होती है पर किसी की फितरत समय लगे पता पड़ जाये तो अच्छा ही है .सशक्त कथा के लिए आपको बधाई आदरणीया तनूजा जी
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