221—2121—1221-212 |
|
इतना तो काम आप को करना पड़ेगा जी |
जन्नत जो देखना है तो मरना पड़ेगा जी |
|
माना कि बादशाहे-आसमां है वो मगर |
खुर्शीद को उफ़क में उतरना पड़ेगा जी |
|
हर जानवर में बंट गई महलों की रोटियाँ |
फिर आम आदमी को तो चरना पड़ेगा जी |
|
ये ज़िन्दगी है नाव, समुन्दर है ये जहां |
अब वक़्त की पतवार से तरना पड़ेगा जी |
|
अफसर है वे, न मानिए कोई मज़ाक है |
कितना भी दम हो आपमें, डरना पड़ेगा जी |
|
यादों के इस भंवर में मुहब्बत के वासिते |
तुमको नफस-नफस में बिखरना पड़ेगा जी |
|
आया रहम गरीब पे अच्छा है ये मगर |
बस आसमां से आज उतरना पड़ेगा जी |
|
वैसे तो दाखिली ही नहीं कू-ए-यार में |
ये है शबे-हयात गुजरना पड़ेगा जी |
|
है जिंदगी, ये ताजमहल तो नहीं हजूर |
कुछ सादगी में रंग तो भरना पड़ेगा जी |
|
ये तै रहा कि आप है कश्ती और आपको |
दरिया में एक रोज़ उतरना पड़ेगा जी |
|
चेह्रा जो सामने है नए दौर का, सुनो |
ये आइना है, इसमें सँवरना पड़ेगा जी |
|
उसने हरेक सच जो कहा है जुनून में |
हर बात से उसे भी मुकरना पड़ेगा जी |
|
मैं जानता हूँ आब हूँ मुझको ही हर दफा |
गम-ओ-ख़ुशी के बीच निथरना पड़ेगा जी |
|
------------------------------------------------------------ |
Comment
आदरणीय गिरिराज सर, ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार. सादर. नमन
आदरणीय मिथिलेश भाई , बढ़िया गज़ल हुई है , सभी अशआर अच्छे हुये हैं , आपको हार्दिक बधाइयाँ ।
आदरणीय विजय शंकर सर आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया, हमेशा मेरा मनोबल बढाती है. ग़ज़ल के मुखर अनुमोदन, सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार आपका. नमन
आदरणीय हर्ष जी, मोबाइल से कमेन्ट करना ज़रा मुश्किल तो है. बहरहाल ग़ज़ल के मुखर अनुमोदन, सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार आपका.
आदरणीया कांता जी, ग़ज़ल के मुखर अनुमोदन, सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार आपका.
आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र जी, ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार आपका.
बादशाह वाले शेर पर शायद दाद नहीं बन रही है. उसे पुनः देखता हूँ.
बड़े ख़ूबसूरत अश’आर हुए हैं आदरणीय मिथिलेश जी, दाद कुबूल करें
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online