For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- कोई रास्ता मिले ...( बराए इस्लाह ) .... दिनेश कुमार

221-2121-1221-212

मंज़िल मिले न मुझको कोई रास्ता मिले
सहरा-ए-ज़िन्दगी में फ़क़त नक्शे पा मिले

मरने से भी ग़ुरेज़ न मुझ जैसे रिन्द को
लेकिन ये हो कि मर के मुझे मयकदा मिले

क़ैद-ए-नफ़स से रूह जो आज़ाद हो मिरी
फिर उसको पैरहन न कोई दूसरा मिले

बेचैन हूँ मैं गर्मी-ए-अहसास-ए-हिज्र से
अब तो तुम्हारे प्यार की ताज़ा हवा मिले

पुरपेंच पुरख़तर है ये जीवन की रहगुज़र
अच्छा हो रहनुमा जो अगर आप सा मिले

तूफाँ की ज़द में आ गयी कश्ती हयात की
ढूंढे से भी न मुझको कोई नाखुदा मिले

नासूर बन रहे हैं मेरे ज़ख़्म-ए-दिल सभी
देंखे मुझे भी कब कोई दस्ते शिफ़ा मिले

जोश-ओ-जुनून जीने का कम हो रहा दिनेश
मुझको तो खुद से लड़ने का अब हौसला मिले

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 659

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 10, 2015 at 10:21pm

बहुत शानदार ग़ज़ल हर शेर ऊँचाई लिए हुए कोई भी कमतर नहीं दिल से दाद हाजिर है दिनेश जी 

Comment by Ravi Shukla on September 10, 2015 at 5:58pm

आरणीय दिनेश जी बहुत खुब, क्‍या शानदार गज़ल कही है आपने । शेर दर शेर दिली दाद कुबूल करें । हम भी आदरणीय गोपाल नारायण जी की बात से सहमत है ।

Comment by ram shiromani pathak on September 10, 2015 at 5:36pm
बढ़िया कहन आदरणीय ।।हार्दिक बधाई
Comment by दिनेश कुमार on September 10, 2015 at 5:28pm
हौसला अफ्ज़ाई के लिए शुक्रिया आ. सुशील सर जी।
Comment by दिनेश कुमार on September 10, 2015 at 5:27pm
हौसला अफ्ज़ाई के लिए शुक्रिया आ. मिथिलेश भाई जी। आप के शब्दों ने उत्साह बढ़ाया।
Comment by दिनेश कुमार on September 10, 2015 at 5:25pm
हौसला अफ्ज़ाई के लिए शुक्रिया आ. शिज्जू भाई जी। आप के उत्साहवर्धक शब्द मेरे लिए काफी मायने रखते हैं।
Comment by दिनेश कुमार on September 10, 2015 at 5:23pm
हौसला अफ्ज़ाई के लिए शुक्रिया आ. मनोज कुमार अहसास साहब .
Comment by दिनेश कुमार on September 10, 2015 at 5:22pm
हौसला अफ्ज़ाई के लिए शुक्रिया आ. राहुल जी।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 9, 2015 at 8:29pm

त्ताज्जुब हैकि ऐसी गजल  को बराए इस्लाह पेश किया गया . भाई कोई बहुत ही  गुनी होगा जो हिमाकत करेगा . बहुत बढ़िया.

Comment by gumnaam pithoragarhi on September 9, 2015 at 6:31pm

क़ैद-ए-नफ़स से रूह जो आज़ाद हो मिरी
फिर उसको पैरहन न कोई दूसरा मिले

बेचैन हूँ मैं गर्मी-ए-अहसास-ए-हिज्र से
अब तो तुम्हारे प्यार की ताज़ा हवा मिले

वाह बहुत खूब पर दुसरे शेर में रदीफेन का दोष तो नहीं हो रहा है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service