For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जलते तो है सभी

पर जलने का भी होता है

एक ढंग, एक कायदा,

एक सलीका

जब मै किसी दिए को

किसी निर्जन में

जलते देखता हूँ निर्वात   

तब समझ पात़ा हूँ

कि क्या होता है

तिल–तिल कर जलना,

टिम-टिम करना 

घुट-घुट मरना

और तब मुझे याद आती है

मुझे मेरी माँ

जीवनदायिनी माँ 

सब को संवारती

खुद को मिटाती माँ !

(अप्रकाशित व् मौलिक )

Views: 758

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on September 13, 2015 at 1:19pm

//

जब मै किसी दिए को

किसी निर्जन में

जलते देखता हूँ निर्वात   

तब समझ पात़ा हूँ

कि क्या होता है

तिल–तिल कर जलना//

उफ़ ! आपकी रचना ने झकझोर दिया । आपसे ऐसी ही अच्छी रचना की आशा रहती है। बधाई।

Comment by Sushil Sarna on September 12, 2015 at 7:53pm

तब समझ पात़ा हूँ
कि क्या होता है
तिल–तिल कर जलना,
टिम-टिम करना
घुट-घुट मरना
और तब मुझे याद आती है
मुझे मेरी माँ
जीवनदायिनी माँ
सब को संवारती
खुद को मिटाती माँ !

माँ के भाव को सजीवता से चित्रित करती इस मार्मिक प्रस्तुति पर सादर नमन आपको आदरणीय डॉ गोपाल भाई साहिब। मन द्रवित कर गयी आपकी रचना। …_/\_

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 11, 2015 at 8:44pm

आ० मिथिलेश जी -- मां की बातें सबको रिझाती हैं , सादर .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 11, 2015 at 8:43pm

आ०समीर कबीर साहेब - गजल हो या कविता    सभी एक सुन्दर अहसास ही तो हैं --आपका शुक्रिया

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 11, 2015 at 8:41pm

 महनीया छाया  शुक्ल जी -- आप दो बार प्रस्तुत हुईं - मैं  आभारी हूँ .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 11, 2015 at 8:40pm

आ० शिज्जू भाई - माँ का अहसास सबको  ही है , सादर .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 11, 2015 at 8:38pm

आ0 श्याम नारायन  वर्मा जी - आपका आभारी हूँ.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 11, 2015 at 8:37pm

आ० हर्ष महाजन  जी

आपका आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 11, 2015 at 2:31pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर, शानदार और मार्मिक रचना की प्रस्तुति हुई है. आपको हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर.

Comment by Samar kabeer on September 10, 2015 at 11:11pm
आली जनाब डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी,आदाब,वाह,बहुत ख़ूब,ज़रूरी नहीं कि शायरी ग़ज़ल में ही की जाए ,अपनी इस बात के सुबूत में मैं आपकी यह रचना रख सकता हूँ,दिल से दाद क़ुबूल कीजिये ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
5 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service