ईश्वर अलक्ष्य है क्या ?
शायद –
तब तुमने माँ को नहीं जाना
न समझा न पहचाना
सचमुच
अभागा है तू
(मौलिक व् अप्रकाशित )
Comment
आ० सुनील जी
आपकी नजरो का कायल हुआ
प्रिय कृष्णा बहुत बहुत आभार
आ० मिथिलेश जी -- आपकी संस्तुति से बल मिला .
बहुत बढ़िया प्रस्तुति... हार्दिक बधाई सर
आ० प्रतिभा जी --आपका अनुगृहीत हूँ
आ० नीर जी --आपका आभार
आ० शिज्जू भाई --आपके समर्थन से संतुष्टि मिली
आ० विजय सर -- आप्यायित हुआ ,
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