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कब हुयी थी बात जनता से

कब आए थे तुम हमारे गाँव

कब फांकी थी तुमने गलियारे की धूल

कब तुम्हारी खादी पर जमी थी गर्द की परतें

कब दिया था आख़री भाषण यहाँ पर डूब कर पसीने में

कब किया ब्यालू यहाँ के एक हरिजन संग

और पानी था पिया अकुआगार्ड का जो साथ थे लाये

गाँव को तो याद है वह दिन, भूल जाते हो मगर तुम

देश की संसद बड़ी है, डूब जाते हो वही तुम

देश का दुर्भाग्य है वह नहीं मिल पाता कभी भी

चाह कर तुमसे बड़े बंधन है अजब विकराल

दारिद्र्य, लाचारी, गरीबी, बेबसी के  

अनेकानेक साथ में हैं प्राचीरें भी बड़ी दुर्गम खडी   

लोग कहते है सुरक्षा भी बड़ी है आपकी 

पलक झपकी भी नहीं कि घेर लेते है कमांडो

बड़े तगड़े विकट मुस्टंडे वीर है वे

नहीं,  हम क्या हमारी औकात क्या

हम नही मिल सकते विधाता से कभी भी देश के  

फिर करेंगे वे ही कृपा आयेंगे कभी इस गाँव में

और पूजेंगे उन्हें हम फिर इसलिए कि जान दें वे बख्श

और तो सब कुछ लिया है छीन -घर, जमीं, खेती और माटी देश की  

हवा, पानी, रोटी और जीने की आजादी ललक सब कुछ 

हम उन्हें सर पर बिठाएंगे विजय के गीत गायेंगे पुनः

इस धरा पर तो वही भगवान् है सबके,

 

पांच साल में एक दिन होती है पहचान I

भक्त कही जाते नहीं आते है भगवान् II

जय हो !

(मौलिक व् अप्रकाशित )

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Comment

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Comment by गिरिराज भंडारी on September 28, 2015 at 8:12am

क्या बात है !!  आ. बड़े भाई गोपाल जी , नेताओं की जनम पत्री खूब बांची है , आपने । सत्य वचन !! आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by kanta roy on September 24, 2015 at 1:08pm
गाँव को तो याद है वह दिन, भूल जाते हो मगर तुम
देश की संसद बड़ी है, डूब जाते हो वही तुम...... बेहद सधे हुए लहजे में तीखी बातों की धार उतर सी जाती है पढते - पढते सहसा । बहुत खूब अभिव्यक्ति हुई है कटाक्ष लिये । बधाई स्वीकार करें आदरणीय डा. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 24, 2015 at 12:23pm

बढ़िया प्रस्तुति हुई है आदरणीय गोपाल सर.

पांच साल में एक दिन होती है पहचान I

भक्त कही जाते नहीं आते है भगवान् II

जय हो !.............................................................. जय हो............

इस प्रस्तुति पर बधाई आपको, सादर 

Comment by Shyam Narain Verma on September 23, 2015 at 10:53am

बहुत सुन्दर और मार्मिक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई ।

 सादर ,

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