सच्चा आनंद – (लघुकथा ) -
"शुक्ला जी,सुना है आप पूरे नव रात्र छुट्टी पर हो"!
"सही सुना है आपने गौतम जी"!
"ऐसा क्या कठोर व्रत पूजा पाठ कर रहे हो कि पूरे नौ दिन की छुट्टी ले ली, व्रत उपवास तो हम भी करते हैं,पर छुट्टी खराब करके नहीं"!
"कुछ ऐसा ही व्रत कर रहा हूं इस बार "!
"कुछ विस्तार से बताओगे"!
"गौतम जी अपने कार्यालय के पीछे जो कुष्ठ रुग्णालय है, उसमें दस कुष्ठ रोगी हैं!मैं पूरे नव रात्र उस रुग्णालय में अपनी सेवायें दे रहा हूं!प्रातः सात बजे से रात आठ बजे तक!उन रोगियों की साफ़ सफ़ाई करना,वस्त्र बदलना, उनके घावों पर दवा लगाना, उनको अपने हाथों से चाय ,नाश्ता ,खाना खिलानाउनको अखबार पढकर सुनाना इत्यादि"!
"शुक्ला जी,यह तो बडे ज़ोखिम का काम है"!
"लेकिन सच्चा आनंद भी इसी में है"!
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
हार्दिक आभार आदरणीय ओमप्रकाश जी, कांता जी, मिथिलेश जी!
आ TEJ VEER SINGH जी आप की व्रत लघुकथा व्रत के नए रूप से बखूबी दर्शन करा गई. बधाई इस सुंदर व सार्थक लघुकथा के लिए.
आदरणीय तेजवीर जी बहुत ही उम्दा लघुकथा हुई है. कथ्य का मर्म प्रभावित भी करता है, प्रेरित भी. बधाई इस बेहतरीन प्रस्तुति पर
हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी!
हार्दिक आभार आदरणीय प्रतिभा जी
iइतने पवित्र व्रत की प्रेरणा अगर हर किसी को मिल जाय तो ही सही अर्थों मेंसार्थक होगी नवरात्रा , बहुत ही अवसर अनुकूल और सार्थक रचना हुई है आपकी आदरणीय ,हार्दिक बधाई आपको
हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी!
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