For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम इस ही बहाने आओ भी

16 रुक्नी ग़ज़ल
=================================
हम अब भी साँसें खींच रहे; कुछ और सितम तुम ढ़ाओ भी।
दीदार तो होगा कम से कम; तुम इस ही बहाने आओ भी।।

कल सुब्ह चले जाना ये शब, तूफ़ान भरी को बीतने दो।
बादल झरते हैं आँखों से, बरसात है तुम रुक जाओ भी।

अरमान भरे दिल की दुनिया, उजड़ी है अभी बर्बाद हुई।
बस बाकी है दीवार ज़रा, माटी में इसको मिलाओ भी।।

तैयार ज़रा कर दो मुझको, बिखरा बिखरा हूँ ठीक नहीं।
शृंगार अधूरा है मेरा, कुछ मोती मुझपे चढ़ाओ भी।।

कोई क़र्ज़ न बाक़ी रह जाये, अब लेन देन अंतिम कर लो।
उपहार दिये थे जो तुमको, वो फ़ूल हमें लौटाओ भी।।


मौलिक अप्रकाशित

Views: 672

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on November 7, 2015 at 9:42am
धन्यवाद अनुज आमोद
Comment by amod shrivastav (bindouri) on November 6, 2015 at 10:23pm
खूबसूरत बधाई
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on November 5, 2015 at 4:00pm
सादर नमस्कार मित्र मनोज जी
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on November 5, 2015 at 3:59pm
आदरणीय मोहन सर सादर प्रणाम्।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on November 5, 2015 at 3:58pm
सादर धन्यवाद आदरणीय आबिद भाई
Comment by मनोज अहसास on November 5, 2015 at 6:08am
नमस्कार सर
इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई
सादर
Comment by मोहन बेगोवाल on November 4, 2015 at 11:07pm

आदरनीय पंकज जी , बहुत बढ़िया  ग़ज़ल के लिए बधाई हो 

Comment by Abid ali mansoori on November 4, 2015 at 8:44pm

हार्दिक वधाई आदरणीय!

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on November 4, 2015 at 5:39pm
आदरणीय लक्षमण भाई जी सादर अभिवदान
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 4, 2015 at 11:32am

दीदार तो होगा कम से कम; तुम इस ही बहाने आओ भी...बहुत खूब ...आ० पंकज भाई , हार्दिक बधाई l

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
53 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
2 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
15 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
20 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service