For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

होंठों पे जिनके दीप जलाने की बात है--- (ग़ज़ल)--- मिथिलेश वामनकर

221 2121 1221 212

 

होंठों पे जिनके दीप जलाने की बात है

सीने में उनके आग लगाने की बात है

 

झाड़ी के फैलते हुए हाथों को काट कर

कहते है सिर्फ बाग़ सजाने की बात है

 

क्या मुफ़लिसी वतन की सियासत से जाएगी?

ये परबतों पे दाल गलाने की बात है

 

अहले-वतन के काफिले होंगे गली-गली

बस इक दबा सवाल उठाने की बात है

 

फाकों में देखना है अगर मस्तियाँ तुम्हे

रोटी की गोल ढपली बजाने की बात है

 

जब तक चले, सफ़र में रहे, तो ये जिंदगी

ठहरी तो समझो मौत के आने बात है

 

खुद ही उतर के आएँगें तारे जमीन पर

बस आसमां से चाँद हटाने की बात है

 

कश्मीर पर हुजूर खुलेआम कह दिया

घर की अदावतें क्या बताने की बात है?

 

‘मिथिलेश’ मंच पे है मगर बोलता नहीं

परदा यहीं पे आज गिराने की बात है

 

 

------------------------------------------------------------
(मौलिक व अप्रकाशित)  © मिथिलेश वामनकर 
------------------------------------------------------------

 

Views: 821

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 5, 2015 at 4:22pm

आदरणीय केवल प्रसाद जी इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार 

Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 5, 2015 at 3:02pm

अहले-वतन के....................सवाल उठाने की बात है

कश्मीर पर....................... बताने की बात है?

बहुत खूब !!!!!!

मिथिलेश वामनकर साहेब -------------------- बधाई|


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 5, 2015 at 1:45pm

आदरणीय मिथिलेश भाई , बेहतरीन गज़ल हुई है  शे र दर शे र मुबारकबाद कुबूल फरमायें ॥

क्या मुफ़लिसी वतन की सियासत से जाएगी?

ये परबतों पे दाल गलाने की बात है

अहले-वतन के काफिले होंगे गली-गली

बस इक दबा सवाल उठाने की बात है   -- ये शे र बहुत पसंद आये , हार्दिक बधाई आपको ।

Comment by मनोज अहसास on November 5, 2015 at 6:05am
नमस्कार सर
इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई

मौत वाले शेर में की टकण में छूट गया है
सादर
Comment by Abid ali mansoori on November 4, 2015 at 7:51pm

झाड़ी के फैलते हुए हाथों को काट कर

कहते है सिर्फ बाग़ सजाने की बात है

 

क्या मुफ़लिसी वतन की सियासत से जाएगी?

ये परबतों पे दाल गलाने की बात है!

वाह क्या बात है  आदरणीय मिथिलेश जी, वधाई आपको!

 

Comment by Shyam Narain Verma on November 4, 2015 at 5:08pm

इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक सादर बधाई कबूल करें 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 4, 2015 at 4:04pm

बहुत खूब .....

"अहले-वतन के काफिले होंगे गली-गली

बस इक दबा सवाल उठाने की बात है"  आ0 वामनकर भाईजी,  दिल से कही गज़ल के लिये दाद कुबूल करें.

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service