For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

संकल्प - एक व्यंग

" ओ बाबू , सुन ना ! मुझे नेता बनना है , " --पैर पटक - पटक कर भोलूआ आज जिद पर आन पड़ा । कम अक्ल होने के बावजूद भोलूआ अपने भोलेपन के कारण गाँव भर का दुलारा था ।
बापू तो सुनते ही चक्कर खा गया । बिस्कुट ,चाकलेट और मेले घुमाने तक के सारे जिद तो आसानी से पूरा करता आया था , लेकिन बुरबक , अबकी कहाँ से नेता बनने का जिद पाल लिया । सोचे कि चलो गुड्डे- गुडि़या वाला नेता बना देंगे । रामलीला वाले सुगना से नेता जी का ड्रेस माँग के भी पहिराय देंगे , लेकिन भोलूआ का जिद तो असली नेता बनने से है । अब का किया जाये !

थोड़ी देर बाद ही चौपाल पर सबको इकट्ठा किया गया । सबकी नजर मुर्झाये से भोलूआ के चेहरे पर पड़ी तो  मन भर आया । गाँव भर को ही जैसे भोलूआ का नेता बनने की चिंता ने आ घेरा । अब भोलूआ को नेता तो बनाना ही पडेगा क्योंकि श्यामलाल जी , जो दुनिया भर की जानकारी रखते है उनकी बातों का कोई काट नहीं है , वे बोल दिये है कि नेता बनने का दौरा नेता बनने से ही जायेगा ।
भोलूआ ,आखिर पूरे गाँव का अपना दुलारा बच्चा है ,जैसे नंदगांव में कृष्ण हुआ करते थे ।
!
आखिर बच्चे की चाहत का सवाल है । अब यह नेता बने तो बने कैसे ? मिलकर तय हुआ कि धनुआ नाई के पास चला जाये । धनुआ नाई का नेता लोगों के दाढ़ी बनाने के लिये वहाँ रोज का आना -जाना है । इतिहास गवाह है कि नाई राज -रजवाड़ों के भी राजदार हुआ करते थे तो जरूर नेताओं के भी जरूर वह राजदार होगा । वही बतलायेगा कोई नया रास्ता ।

धनुआ अपने घर इतना भीड़ देख सकपका गया । एकदम से चिल्ला उठा , " ये नेता बनकर कहाँ घुस आये हो आप लोग ! "

" देखो वो नेता बोला , मुझे नेता बोला ,मै नेता जरूर बनूँगा ।" भोलूआ के उम्मीदों को मानों पंख लग गये ।

" अरे ,जहाँ भीड़ वहीं नेता ! आपके पास भीड़ तो आपका नेता बनना पक्का ! " -बापू भोलूआ के सिर पर हाथ फेर उम्मीद से सहला दिये ।
गाँववालों को मानों धनुआ नाई नहीं बल्कि पारस पत्थर मिल गया था , सब घेर कर उसको ध्यान से सुनने लगे ।

" लेकिन एक चीज़ की कमी आड़े आ सकती है आपके नेता बनने में ! " धनुआ गंभीर हो उठा।

" कौन से चीज़ की कमी...? " मुश्किल से सब्र रखे हुए सब एक साथ ही बोल उठे ।

" ध्यान से सुनो , यह बहुत राज की बात है । सभी नेताओं के पास यह होता है । जिस नेता के पास इसकी कमी होती है वो दुमकटा कहलाता है --" धनुआ फुसफुसा कर कहा ।

" हैss , दुमकटा ! नहीं , नहीं , मुझे दुमकटा नेता नहीं , अच्छा नेता बनना है ।" भोलूआ का धैर्य टूट रहा था ।

"अरे , पहली मत बुझाओ , का होना जरूरी होता है । हम सब ले आयेंगे । ईहाँ , लडका का प्राण निकल जायेगा , देर ना करो ,बताओ !" भोलूआ के बापू अधीर हो उठे ।

" अरे ,हम भी अधिक तो नहीं जानते है, लेकिन वे कोई " संकल्प " की बात करते है , कि नेता के पास जनता को दिखाने को कुछ हो ना हो, " भीड़ " और "संकल्प" , ई दुई चीज़ दिखाना बेहद जरूरी होती है । भीड़ तो आपके पास है ही बस संकल्प का जुगाड़ कर लीजिये। "

" ओ भगवानलाल ,इधर आ ,सुन , तुम कल तड़के ही शहर निकल जाना , चाहे जितनी भी महंगी हो , संकल्प खरीद कर ही लौटना । सुने है वहाँ शहर में पढे -लिखो के तबके में ,रोज संकल्प गढे जाते और बेचे जाते है । "

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 667

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kanta roy on December 4, 2015 at 9:11pm

 भोलुआ की ज़िद पर गढ़ी गयी संकल्प की ये दास्ताँ आपको  पसंद आई ,मेरा लिखना सार्थक हुआ। इस प्रोत्साहन के लिए हृदयतल से आभारी हूँ आदरणीया प्रतिभा जी।  

Comment by kanta roy on December 4, 2015 at 9:08pm

बिलकुल सही कह रहे है आप कि भाषा बहुत अभ्यास मांगती है।
व्यंग मेरी विधा नहीं है इसलिए व्यंग की तकनीकों से अनजान हूँ और , इस तरह के लेखन पर ये मेरा पहला प्रयास है।
आपने सराहना की और मेरा मनोबल बढ़ाया इसके लिए तहेदिल आभार आपको आदरणीय प्रदीप नील जी।

Comment by kanta roy on December 4, 2015 at 9:04pm

संकल्प विषय को पढ़ते ही यु ही मन में आया तो लिख ली थी।  आपने सराहना की ,और मेरा हौसला बढ़ाया, आभार आदरणीय नीता जी 

Comment by kanta roy on December 4, 2015 at 9:02pm

कथा के मर्म को समझने के लिए आभार आदरणीय सतविंदर जी। 

Comment by kanta roy on December 4, 2015 at 9:01pm

रचना पर मेरा हौसला  बढ़ाने हेतु आभार आपको आदरणीय तेजवीर जी। 

Comment by pratibha pande on December 1, 2015 at 3:57pm

 संकल्प गुब्बारे की तरह होते हैं कभी  हवा भर कर फुला कर उड़ा लो कभी लपेट कर अन्दर रख लो , भोलुआ की नेता बनने की और संकल्प के लिए जिद ,  बहुत बढ़िया समसामयिक व्यंग रचा है आपने, हार्दिक बधाई स्वीकार करें आप इस रचना पर आदरणीया  

Comment by प्रदीप नील वसिष्ठ on November 30, 2015 at 9:08pm

अच्छी हास्य रचना , कान्ता जी। बधाई
हाँ , व्यंग्य का पुट थोड़ा और डालती तो
भाषा बहुत अभ्यास मांगती है। अभी तो इसमें बिहार / बंगाल का रंग दिख रहा है
लगी रहें तो एक दिन वंग्य भी लिख सकेंगी। शुभ कामनाएं स्वीकारें ...

Comment by Nita Kasar on November 28, 2015 at 8:41pm
संकल्प बिकाऊ होते है बेचे जाते है गढ़े जाते है अनमोल भी होते है लेखन में कल्पना की ऊँची उड़ान है बधाई आपको आद० कांता राय जी ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 28, 2015 at 8:00pm
संकल्प गढ़े जाते हैं और बेचे जाते हैं।बहुत खूब वन्दनीया
Comment by TEJ VEER SINGH on November 28, 2015 at 7:33pm

हार्दिक बधाई आदरणीय कांता जी!बहुत सटीक व्यंगात्मक रचना!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service