For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"सारा जीवन बैल की तरह कमाया।अपनी और अपने बच्चों की तरफ न देखा,न ही कोई भविष्य की योजना कर पाए।",झिड़कते हुए उसकी पत्नी ने बोला।
और वह उसकी तरफ एक बार देख ही पाया उत्तर में।
"ऐसे क्या घूर रहे हो मुझे ?कुछ गलत नहीं बोली हूँ।"
"हूँsss।मैंने तो....."
"क्या मैंने तो?कोई सगे भाइयों के लिए कुछ नहीं करता और तुमने तो अब तक का अपना जीवन सौतेलों के लिए जिया।उनको तो बना दिया और ख़ुद.....।"
"क्या बोले जा रही हो भाग्यवान....?"
"आज तो कोई सगा किसी का नहीं,तो सौतेला क्या होगा?अपनी सारी कमाई और उम्र तो उनको पालने-पढ़ाने में लगा दी।अब अपने बच्चों के लिए...?"
"अब बस भी करो।पिताजी के जाने के बाद मेरी जिंदगी के यही तो मायने थे।"
मौलिक एवम् अप्रकाशित

Views: 424

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 10, 2015 at 6:30am
रचना पर आपकी स्नेहिल उपस्थिति ही उसको सार्थक बना देती है।आपके प्रोत्साहन भरे शब्दों से और ऊर्जा मिलती है।उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार वन्दनीया Kanta Roy दी।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 10, 2015 at 6:28am
आभार आदरणीया अनीता जैन जी रचना पर उपस्थित होकर यथार्थ को साँझा करने एवम् प्रोत्साहन के लिए।
Comment by kanta roy on December 1, 2015 at 10:52am
बहुत ही सुंदर जिम्मेदारी भरी यह जिंदगी के मायने हुए है आपके आदरणीय सतविंदर जी । बधाई !
Comment by ANITA JAIN on November 30, 2015 at 6:59pm
आदरणीय बहुत अच्छा...अकसर ज़िम्मेदादी निभाने वाला ऐसी अन देखी कर जाता है |अपने खाली हाथ ही रह जाते हैं अपनों की जीवन इच्छा पूर्ति में |
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 28, 2015 at 7:39pm
बहुत बहुत आभार आदरणीय Tejveer Singh जी
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 28, 2015 at 7:38pm
प्रयास की सराहना के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीया Savitamishra जी।
Comment by TEJ VEER SINGH on November 28, 2015 at 7:25pm

सुन्दर लघुकथा!हार्दिक बधाई!

Comment by savitamishra on November 28, 2015 at 4:18pm

अच्छी कथा .....बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service