For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सूने आंगन में जाल बिछा चांदनी रात सोयी रोकर

मेरी अभिलाषा जाग रही रागायित हो पागल होकर

मैं समय काटता रहा विकल

दायें-बायें  करवटें   बदल

घिर आये मानस-अम्बर पर

स्वर्णिम सपनीले बादल-दल

बौराया घूम रहा मारुत अपनी सब शीतलता खोकर  

सपनो में चल घुटनों के बल

सरिता तट पर आया था जब

कह डाला कुछ मन की मैंने

वह बज्र प्रहार हुआ था तब

सायक सा टूटा था अंतस निर्दयता  की खाकर ठोकर  

 यह नाग आँख में है अविरल

छोड़ता निरंतर नित्य गरल

मैं जलूं,  दहूँ  या राख बनूँ

पर  नेह,  देह में  रहे तरल 

प्रतिमान बनूंगा मैं अपने काँधे पर निज अर्थी ढोकर

हतभाग्य रहा या शापित मै

करुणा का पात्र बना न कभी

उसका ठुकराना तो अथ था

मुझको  ठुकराते  रहे सभी

बस एक झलक पा जाता मै दृग–जल से पापों को धोकर

 उड़ता भटके बादल सा मन

छा  जाता नयनों मे सावन

जलता अन्तस में है अलाव

भीतर- बाहर सब पागलपन

भूलूंगा मैं यह व्यथा सकल चिर-निद्रा में बेसुध सोकर 

सूने आंगन में जाल बिछा चांदनी रात सोयी रोकर

मेरी अभिलाषा जाग रही रागायित हो पागल होकर

 

 (मौलिक  व् अप्रकाशित )

Views: 500

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on December 16, 2015 at 2:16pm

//

उड़ता भटके बादल सा मन

छा  जाता नयनों मे सावन

जलता अन्तस में है अलाव

भीतर- बाहर सब पागलपन

भूलूंगा मैं यह व्यथा सकल चिर-निद्रा में बेसुध सोकर 

सूने आंगन में जाल बिछा चांदनी रात सोयी रोकर

मेरी अभिलाषा जाग रही रागायित हो पागल होकर//

बहुत ही सुन्दर भाव पिरोए हैं। हार्दिक बधाई, आदरणीय गोपाल नारायन जी। 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 14, 2015 at 8:55pm

आ० समीर कबीर साहिब -  आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 14, 2015 at 8:54pm

आ० श्याम् नारायन  वर्मा जी आपका बहुत- बहुत  आभार.

Comment by Samar kabeer on December 13, 2015 at 11:09pm
आली जनाब गोपाल नारायण जी आदाब,बहुत ही सूंदर कविता है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें |
Comment by Shyam Narain Verma on December 11, 2015 at 6:44pm

बहुत  सुंदर और भावपूर्ण रचना  हुई है | हार्दिक  बधाई 

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अच्छे शेर हुए। मतले के शेर पर एक बार और ध्यान देने की आवश्यकता है।"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेन्द्र जी नमस्कार  बहुत शुक्रिया आपका  ग़ज़ल को निखारने का पुनः प्रयास करती…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार  बहुत शुक्रिया आपका, बेहतरी का प्रयास ज़रूर करूँगी  सादर "
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"ग़़ज़ल लिखूँगा कहानी मगर धीरे धीरेसमझ में ये आया हुनर धीरे धीरे—कहानी नहीं मैं हकीकत…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"नहीं ऐसी बातें कही जाती इकदम     अहद से तू अपने मुकर धीरे-धीरे  जैसा कि प्रथम…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"मुझसे टाईप करने में ग़लती हो गयी थी, दो बार तुझे आ गया था। तुझे ले न जाये उधर तेज़ धाराजिधर उठ रहे…"
5 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद  श्रोतिया जी....लगभग पाँच वर्ष बाद ओ बी ओ     पर अपनी हाज़िरी दी…"
6 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"जी, गिरह का शे'र    ग़ज़ल से अलग रहेगा बस यही अड़चन रोक रहीहै     …"
6 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
""पहुंचें" अन्य को आमंत्रित करता हुआ है इस वाक्य में, वह रखें तब भी समस्या यह है कि धीरे…"
6 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अच्छे मिसरे बाँधे हैं अजय जी। परन्तु थोड़ा सा और तराशा जाए तो सभी अशआर और ज़ियादा चमकने लगेंगे। आपकी…"
7 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"सजावट से रौनक बढ़ेगी भले हीबनेगा मकाँ  से  ये  घर धीरे धीरे// अच्छा शेर है! अच्छे…"
7 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अच्छी ग़ज़ल कही ऋचा जी। रदीफ़ की कठिनता ग़ज़लकार से और अधिक समय और मेहनत चाहती है। सभी मिसरो को और…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service