For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भर्राती हुई सी आवाज़।कहाँ से आ रही थी?वह अंदाज़ा नहीं लगा पा रहा था।दर्द से पीड़ित सी।
दुखी सी।

"क्यों मुझे परेशान कर रही हो?"
हिम्मत सी करके बोला।

"परेशान?तुम्हें?और मैं?"
आवाज़ फिर आई।

"एक तो तुम्हारी आवाज़ मुझे डरा रही है और दूसरा तुम दिखाई भी नहीं देती।"
उसने ज़वाब दिया।

"मैं दिखाई नहीं देती?तुमने मुझे कभी दिखने ही नहीं दिया,हमेशा दबाने की कोशिश की और तुम कहते हो मैं दिखाई नहीं देती।"
आवाज़ में पीड़ा थी।

"मैंने तुम्हें दिखने नहीं दिया.......,दबाने की कोशिश की...?"
अँधेरे में गौर से आवाज़ की ओर ढूंढते हुए उसने पूछा।

"हाँ।बहुत बार अवसर मिले।मैं सबको दिख पाती।नज़र आती।चमकती।निखरती।परररर.....?"
आवाज़ में फ़िर पीड़ा थी।

घबरा रहा था।कोई नज़र नहीं आ रहा था।अब तो दम घुटने लगा था।
डर और घुटन से उपजी झल्लाहट से वह बोल उठा,"म्मम्मम्म मैं कुछ समझा.......कहाँ हो तुम मुझे नज़र नहीं आती ?बताती क्यों नहीं?"

"कहाँ ढूंढते हो मुझे?मैं तो तुम्हारे ही अंदर हूँ।"

"हाँ.....?"
डर गया।

"कौन हो तुम?"
डरते हुए पूछा।

"तुम्हारे अंदर की प्रतिभा।"
और एक ज़ोर दार ठहाका।

हड़बड़ाहट में हिला तो खुद को बिस्तर में पाया।

मौलिक एवम् अप्रकाशित

Views: 743

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 2, 2016 at 4:30pm

रचना को अपना कीमती समय देकर इतनी सुंदर प्रोत्साहक टिप्पणी की|मुझे नव ऊर्जा प्रदान करने के लिए सादर हार्दिक आभार एवं नमन आदरणीय vijay nikore सर |

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 2, 2016 at 4:27pm

स्नेहिल प्रोत्साहन के लिए तहे दिल शुक्रगुज़ार हूँ आदरणीय SURENDERA KUMAR BHRAMAR जी|

Comment by vijay nikore on February 2, 2016 at 3:38pm

अच्छी लघु कथा के लिए बधाई। ऐसी लघु कथा लिखना आसान नहीं है।

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on January 29, 2016 at 7:40pm

सतविंदर जी  बिलकुल अलग अंदाज़ में लघुकथा कही  आपने, अच्छी लगी..  इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 22, 2016 at 5:13pm
आपकी स्नेहिल प्रोत्साहन से युक्त टिप्पणी के लिए हृदय से आभारी हूँ ।आदरणीया नीता कसार जी।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 22, 2016 at 5:12pm
तहेदिल शुक्रिया हौसलाअफजाई के लिए आदरणीय गिरिराज भंडारी सर।
Comment by Nita Kasar on January 21, 2016 at 8:47pm
अनूठे अंदाज में महीन सी रेखा का गूढ अर्थ बड़ी ही कुशलता से कथा में पिरो दिया है आपने बधाई आपको आद० सतविंदर कुमार जी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 21, 2016 at 7:42pm

आदरणीय सतविंदर भाई , ज़ुदा अन्दाज़ मे एक बारीक बात कही लघु कथा मे आपने , अच्छी लगी । हार्दिक बधाई 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 21, 2016 at 5:58pm
आदरणीय मिथिलेश सर बड़ी सामान्य सी घटनाओं से प्रेरित है यह रचना।सामन्यतः छोटे छोटे संकोच बड़ी बड़ी प्रतिभाओं को दबा डालते हैं।
आपने रचना को समय देकर स्नेहाशीष दिया हृदयतल से आभार आपके।सादर नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 21, 2016 at 5:52pm
आदरणीया प्रतिभा पांडे जी रचना के मर्म को समझते हुए स्नेहिल प्रोत्साहन देने के लिए हृदयतल से आभार।सादर नमन।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
yesterday
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Thursday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service