एक फ़ौज़ी की मौत – ( लघुकथा ) –
"क्या हुआ नत्थी राम, किस बात पर कर ली आत्म हत्या तुम्हारे लडके ने,कोई चिट्ठी छोडी क्या"!
"थानेदार साब,वह आत्म हत्या नहीं कर सकता,वह तो एक फ़ौज़ी था,उसे मारा गया है"!
"पर उसका शरीर तो गॉव के बाहर पेड पर लटका मिला था"!
"यह सब साज़िश है,उसे मार कर लटका दिया गया"!
" ऐसा कैसे कह रहे हो, क्या तुम्हारी दुश्मनी थी किसी से "!
"दरोगा जी, मैं तो सीधा सादा आदमी हूं! मेरा बेटा शादी के लिये तीस दिन की छुट्टी ले कर आया था!जिस दिन वह आया था तो बस अड्डे पर गॉव के कुछ अगडी जाति के लडकों ने उसे धमकी दी थी कि ये जो तूने राजपूती स्टाइल की मूछें बढा रखी हैं कल तक साफ़ करा देना नहीं तो तुझे ही साफ़ कर दैंगे"!
"फ़िर क्या हुआ"!
"मैंने भी उसे कहा था कि बेटा हम दलित और पिछडे लोग हैं ,यह मूंछ रखना हमारा धर्म नहीं है, पर वह नहीं माना, बोला कि फ़ौज़ में तो सभी रखते हैं,साहब यह काम उन्हीं लडकों ने किया है "!
"ठीक है,देखते हैं,पोस्टमार्टम रिपोर्ट से सब पता चल जायेगा"!
और फ़िर लाश पोस्टमार्टम के लिये शहर भेज दी गयी!
दिन भरगॉव में नेताओं,मीडीया वालों,पुलिसवालों ,फ़ौज़ वालों की गाडियां आती जाती रहीं!पोस्टमार्टम के बाद लाश भी आगयी!फ़ौज़ी तरीके से अंतिम संस्कार की तैयारी हो रही थी!राज्य के मुख्य मंत्री भी मौज़ूद थे!
मुख्य मंत्री ने नत्थी राम को दस लाख का चैक देने की पेश कश की!
"साहब ,यह सब रहने दीजिये, मेरा बेटा युद्ध में मरता तो मेरी छाती गर्व से फ़ूल जाती और तब चैक लेने की अलग ही बात होती"!
"नत्थी राम जी, आजकल फ़ौज़ी युद्ध में नहीं मरते अब तो उग्रवादियों द्वारा मारे जाते हैं, फ़िर चाहे वे उग्रवादी देश के बाहर के हों या देश के अंदर के"!
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
गजब की रचना कही है आदरणीय तेजवीर सिंह जी सर, पढ़ कर दिमाग हिल सा गया| सादर बधाई स्वीकार करें इस प्रभावोत्पादक रचना के लिये|
आदरणीय तेजवीर जी, अद्भुत लघुकथा लिखी है आपने. पंचलाइन ने हिला कर रख दिया. नमन आपकी कलम को. दिल से ढेर सारी बधाई लीजिये. लघुकथा में सहजता से अपनी बात भी कह जाना और उसका प्रभावोत्पादक होना, एक रचना को उच्च स्तर पर ले जाता है. आपकी लघुकथा उसी की मिसाल है. दिल से बधाई स्वीकारें....सादर
हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी!
हार्दिक आभार आदरणीय डॉ विजय शंकर जी!लघुकथा के मर्म को समझ कर आपने मुझे कृतार्थ कर दिया!पुनः आभार!
हार्दिक आभार आदरणीय सतविंदर कुमार जी!
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