For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रूक जा ओ कामिनी

रूक जा ओ कामिनी , मृदुला सयानी
हम है पियासे राधे , पिला दे पानी ।

चाँदनी गमकत प्रिय , तोहर नव देह
निवेदन मोरा मानू , जोरू सिनेह ।

सुनु हे माधव प्रिय , आजु एक बात
मोन में राखह सखा ,मोन केर बात ।

हम धनि सुबधि , चेतन परनारी
प्रेम भरल बतिया , लागे मोरा गारी ।

तोहे सद्पुरूष , वचन दीजे मोरे
मान मोरा राखह , शपथ सिनेहे ।

हे गुणवंती राधे , चलू यमुना किनारे
तोहर नाम बंसी , लय लय पूकारे ।

गजमोती माँग तोहर , यही एक सपना
शंख कर चूड़ी देखू , तुम ही सुख साधना ।

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 621

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pratibha pande on January 26, 2016 at 12:49pm

मन मुग्ध करती  रचना ,अलग ही कुछ अंदाज़ में ,बधाई आदरणीया 

Comment by Samar kabeer on January 24, 2016 at 6:02pm
मोहतरमा कांता रॉय जी आदाब,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें |
Comment by kanta roy on January 23, 2016 at 10:56pm
मेरी यह रचना , १२ वीं - १३ वीं शताब्दी के महान कवि मैथिल कोकिल विद्यापति के गीतों से प्रेरित है ।
उन्होंने संस्कृत , अवहट्ठ और मैथिली में उत्कृष्ट रचना की है । उनके गीतों के सुर - तान भंगिमा उनके स्वंय के ही रहते थे ,जिसकी सरलता के कारण ही उनके गीत सहृदय जनों के हृदय के हार बन गये ।
मैने उन्हीं के तान यानि भाष अर्थात राग पर इस गीत की रचना की है । प्रस्तुत गीत में मैने हिन्दी और मैथिली शब्दों के संयोजन कर एकरसता में बाँधने का प्रयास किया है ।
गमकत = महकत
नव देह = किशोरी
चेतन = सयानी / होशियार
बतिया = बातें
गारी = गाली
सिनेहे =स्नेह
लय लय = लेते लेते
तोहर = तुम्हारा
शंख अर्थात सुहागनों द्वारा पहनी जाने वाली शंख की चूड़ियाँ
कर = हाथ ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 23, 2016 at 7:28pm

आ० कांता जी  आपकी इस भाव पूर्ण रचना में बँगला टच है  (यदि मैं गलत नहीं हूँ ) जो इसे कर्ण प्रिय बनता है 

Comment by TEJ VEER SINGH on January 23, 2016 at 6:12pm

हार्दिक बधाई आदरणीय कांता जी !आपकी यह कविता मैंने कई बार पढी मगर इसमें प्रयुक्त भाषा और  शब्दों की क्लिष्टता के कारण पूर्ण रूप से समझ नहीं पाया!क्षमा चाहता हूं!सादर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service