For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ठंडा डब्बा कांच जड़ा [लघु कथा ]

उस गाँव के छोटे से स्टेशन में कोई गाड़ी नहीं रूकती थी , एक दो  पैसेंजर गाड़ियों को छोड़कर I वो और जस्सी ,धड धड करके  मुहँ चिढ़ाकर निकलती गाड़ियों को खुले  मुहँ  और फैली आँखों से  देर तक देखते रहते थे I उन गाड़ियों के ठन्डे डब्बे जो कांच से एकदम बंद होते थे ,जस्सी को बहुत लुभाते थे I उन दोनों सात आठ  साल के बच्चों की आँखों में एक ही सपना हुआ करता था कि  ठंडे   डब्बे वाली गाड़ी में बैठना है एक दिनI

 स्टेशन की बैंच  में बैठा वो इन्हीं पुरानी यादों में खोया था I आज स्टेशन का नज़ारा कुछ और ही था I उस छोटे से स्टेशन ने  इतनी रौनक आज से पहले कभी नहीं देखी थी   Iपूरे स्टेशन ने मानों तिरंगा ओढ़ लिया था I गाँव से  लोग  तिरंगा लिए दौडे आ रहे थे स्टेशन की ओरI  आज गाड़ी रुकने वाली थी यहाँ पर और ये काम भी जस्सी ने ही किया था I

धड धड करती रेल स्टेशन पर रुक गई I पूरी रेल ही कांच जड़े ठन्डे डब्बों की थी I वो बेंच से खड़ा हो गया I एक डब्बे का दरवाज़ा खुला और उसका यार जस्सी उर्फ़ शहीद जसविंदर सिंह तिरंगे में लिपटा चार कंधों पर शान से उतर रहा था  उस बड़े से ठंडे डब्बे से जिसकी खिडकियों में सफ़ेद काँच जड़े थेI  

 मौलिक व् अप्रकाशित    

Views: 1126

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on March 14, 2016 at 1:00pm

इस अति मार्मिक लघु कथा के लिए बधाई।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 11, 2016 at 5:31pm
बहुत ही भावुक क्षण को प्रस्तुत करती अनोखी रचना।हार्दिक बधाई आदरणीया।
Comment by pratibha pande on February 9, 2016 at 10:33pm
कथा पर उपस्थित होकर मर्म का अनुमोदन करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 9, 2016 at 1:49pm
बढ़िया रोचक प्रवाह पूर्ण प्रस्तुति शीर्षक को सार्थक करती हुई बेहतरीन शैली में कथ्य को सम्प्रेषित करती है। आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी ने बहुत ही बारीकी से अवलोकन कर टिप्पणी की है। उन्हें व आपको तहे दिल बहुत बहुत बधाई आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 8, 2016 at 10:52pm
निःशब्द कर देती इस कथा के लिए बहुत बहुत बधाई , आदरणीय सुश्री प्रतिभा पाण्डेय जी , सादर।
Comment by pratibha pande on February 8, 2016 at 9:47pm

आदरणीया नीता जी ,उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार 

Comment by pratibha pande on February 8, 2016 at 9:45pm

कथा पर आकर स्नेहिल टिपण्णी करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया अर्चना जी 

Comment by pratibha pande on February 8, 2016 at 9:43pm

उ त्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर जी 

Comment by pratibha pande on February 8, 2016 at 9:40pm

उत्साह वर्धन के लिए आपकी आभारी हूँ आदरणीय मिथिलेश जी ,आपके इस कथन से मै पूर्णतया सहमत हूँ कि तिरंगे का जिक्र कथा के अंतिम प्रभाव को कम कर रहा है , आपके  सूक्ष्म विश्लेषण और मार्गदर्शन के लिए पुनः आभार प्रेषित है 

Comment by pratibha pande on February 8, 2016 at 9:34pm

 आपको कथा पसंद आई , आपका आभार आदरणीया जानकी जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
5 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service