For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल :- हज़रत-ए-'मीर' की ज़मीन में

फाइलातुन मफाइलुन फेलुन / फइलुन / फेलान

चैन इस दिल को कब नहीं आता
बाम पर चाँद जब नहीं आता

ख़ुश मिज़ाजी हमारा शैवा है
हमको गैज़-ओ-ग़ज़ब नहीं आता

सब हैं सैराब आपके दर से
एक भी तिश्ना लब नहीं आता

नामा उनका लिये हुए क़ासिद
पहले आता था अब नहीं आता

तल्ख़ लहजा मिरा मुआफ़ करें
बे अदब हूँ अदब नहीं आता

'मीर' साहिब,ग़ज़ल कही लेकिन
शैर कहने का ढब नहीं आता

ज़िक्र तेरा "समर" करेंगें वो
नाम भी ज़ेर-ए-लब नहीं आता

समर कबीर
मौलिक / अप्रकाशित

Views: 1485

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on November 1, 2022 at 11:00am

बहुत शुक्रिय: प्रिय भाई विजय निकोर जी आपकी महब्बतों का मैं दिल से क़ाइल हूँ, सलामत रहें ।

Comment by vijay nikore on November 1, 2022 at 9:45am

प्रिय भाई समर कबीर जी,

कई माह पहले आपकी इस रचना को मैंने मन से सराहा था... आज यहाँ पुन: आया तो निम्न पंक्तियों को बार-बार पढ़ता रहा......

// ज़िक्र तेरा "समर" करेंगें वो
नाम भी ज़ेर-ए-लब नहीं आता //

... बहुत ही खूबसूरत ख़्याल पेश किया है आपने। बधाई...और बधाई।

Comment by Samar kabeer on July 8, 2022 at 4:28pm

जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत शुक्रिय: ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 8, 2022 at 4:14pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by Samar kabeer on July 6, 2022 at 1:32pm

जनाब कमल पुरोहित जी आदाब, सुख़न नवाज़ीऔर आपकी महब्बत के लिए बहुत शुक्रिय: ।

Comment by Kamal purohit on July 6, 2022 at 12:13pm
वाह सर जी कमाल ग़ज़ल बेजोड़ काफ़िये

इस मिसरे पर मैं सहमत नहीं (बेअदब हूँ अदब नहीं आता)

इसके लिए मैं इतना ही कहना चाहता हूँ

अदब भी जहाँ पर अदब सीखता है
वो दर आपका है वो घर आपका है
Comment by Samar kabeer on June 8, 2016 at 11:43am
जनाब सौरभ पांडे जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 7, 2016 at 8:21pm
’मीर’ साहिब को इंगित कर आपने बहुत सही बात कही है, जनाब समर साहब !
मुबारकबाद !
Comment by Samar kabeer on March 14, 2016 at 5:49pm
जनाब विजय निकोर जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूं, स्नेह बनाये रखें ।
Comment by Samar kabeer on March 14, 2016 at 5:46pm
जनाब सुरेन्द्र कुमार जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूं ।
आगे से लिख दिया करूँगा ,स्नेह बनाये रखें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service