1222 1222 1222 1222
**************************************
न कोई दिन बुरा गुजरे न कोई रात भारी हो
जुबाँ को खोलना ऐसे न कोई बात भारी हो /1
दिखा सुंदर तो करता है हमारा गाँव भी लेकिन
बहुत कच्ची हैं दीवारें न अब बरसात भारी हो /2
न तो धर्मों का हमला हो न ही पंथों से हो खतरा
न इस जम्हूरियत पर अब किसी की जात भारी हो /3
पढ़ा विज्ञान है सबने करो तरकीब कुछ ऐसी
न तो हो तेरह का खतरा न साढ़े सात भारी हो /4
महज इक हार से जीवन नहीं बुनियाद खो देता
हमारे हौसले पर फिर न कोई मात भारी हो /5
समझ लेना चमन में फिर उठेगा जलजला कोई
‘मुसाफिर’ पेड़ पर जब भी महज इक पात भारी हो /6
मौलिक व अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’
Comment
न कोई दिन बुरा गुजरे न कोई रात भारी हो
जुबाँ को खोलना ऐसे न कोई बात भारी हो .......सही कहा समझदारी से बोलने कि ज़रुरत है, खुबसूरत मतला है सर .
दिखा सुंदर तो करता है हमारा गाँव भी लेकिन
बहुत कच्ची हैं दीवारें न अब बरसात भारी हो ....गज़ब का शेर है सर
न तो धर्मों का हमला हो न ही पंथों से हो खतरा
न इस जम्हूरियत पर अब किसी की जात भारी हो बहुत उम्दा विचारहैं आपके
आदर्नीय लक्ष्मण साहब इस उम्दा रचना कर्म केलिये हर्दिक बधाई.....
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online