For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1222    1222    1222    1222
न जाने  हाथ में  किसके है ये पतवार  मौसम की
बदल पाया  न  कोई भी  कभी  रफ्तार मौसम की /1

सितम इस पार मौसम का दया उस पार मौसम की
समझ  चालें  न  आएँगी कभी  अय्यार मौसम की /2

अभी है पक्ष  में तो  मत  करो  मनमानियाँ इतनी
न जाने कब  बदल जाए  तबीयत यार मौसम की /3

उजाड़े  जा  रहा क्यों तू  धरा   से  रोज ही इनको
दवाई  पेड़  पौधे  हैं  समझ   बीमार  मौसम की /4

न आए  हाथ उतने  भी   लगाए  बीज थे जितने
पड़ी कुछ दोस्तो  ऐसी फसल पर मार मौसम की /5

पहुँच कितनी भी बढ़ जाए भले ही चाँद मंगल तक
गुलामी  ही करेगा  पर  सदा  सन्सार  मौसम की /6

बहुत सपने  हैं आशा में  जवाँ  इस बार वो होंगे
लिखी हो यार रूसवाई न अब के बार मौसम की /7
****************
मौलिक व अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’

Views: 717

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 3, 2016 at 12:05pm

आ0 भाई जयनित जी , गजल की प्रशंसा के लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 3, 2016 at 12:05pm

आ0 भाई सुशील जी, इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 3, 2016 at 12:04pm

आ0 भाई मदन मोहन जी , उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 3, 2016 at 12:04pm

आ0 भाई नादिर खान जी हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 3, 2016 at 12:04pm

आ0 भाई मोहित मिश्रा जी, अपार स्नेह के लिए आभार ।

Comment by जयनित कुमार मेहता on February 28, 2016 at 10:22am

आदरणीय लक्ष्मण जी, बेहद खूबसूरत ग़ज़ल निकाली आपने। दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें।।

Comment by Sushil Sarna on February 25, 2016 at 8:04pm

अभी है पक्ष में तो मत करो मनमानियाँ इतनी
न जाने कब बदल जाए तबीयत यार मौसम की /3
.... वाह बहुत खूब आदरणीय ... अहसासों की ख़ूबसूरती से लबरेज़ इस ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई सर।

Comment by Madan Mohan saxena on February 25, 2016 at 3:07pm

सितम इस पार मौसम का दया उस पार मौसम की
समझ चालें न आएँगी कभी अय्यार मौसम की /2

अभी है पक्ष में तो मत करो मनमानियाँ इतनी
न जाने कब बदल जाए तबीयत यार मौसम की

खूबसूरत

Comment by नादिर ख़ान on February 25, 2016 at 11:21am

सितम इस पार मौसम का दया उस पार मौसम की
समझ  चालें  न  आएँगी कभी  अय्यार मौसम की 

अभी है पक्ष  में तो  मत  करो  मनमानियाँ इतनी 
न जाने कब  बदल जाए  तबीयत यार मौसम की 

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कही आदरणीय लक्ष्मण  जी ढेरों मुबारकबाद आपको ......

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 25, 2016 at 11:16am

आ० कांता बहन प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
6 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
23 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service