For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अभिव्यक्ति की आजादी

पढ़ते हुए बच्चे का अनमना मन

टूटती ध्यान मुद्रा

बेचैनी बदहवासी

उलझन अच्छे बुरे की परिभाषा

खोखला करती खाए जा रही थी .......

कर्म ज्ञान गीता महाभारत

रामायण राम-रावण

भय डर आतंक

राम राज्य देव-दानव

धर्म ग्रन्थ मंदिर मस्जिद ..और भी बहुत कुछ ..

पी एच डी कर भी जेल जाना

गरीब अमीर परदा दीवार

आरक्षण भेदभाव मनुवाद सम्राज्य्वाद

सब मकड़जाल सा उलझा तो

बस उलझता गया…. दिमाग सुन्न.......

किताबें फेंक…शोर में खो गया

गुड्डे गुड़िया के खेल में

अचानक क्रूरता हिंसा ईर्ष्या जागी

कपडे नोंच चीड़ फाड़ रौंद पाँव तले 

 

नर- सिंह  सा हांफ गया ............................

आजादी -आजादी इस से आजादी उस-से आजादी या फांसी ?

अभिव्यक्ति की आजादी ...

कुछ लोगों की भेंड़ चाल झुण्ड देख

वह दौड़ा अंधकार में अंधे सा ....

माँ ने एक थप्पड़ जड़ा ..रुका ……

आँचल से पसीना पोंछ ..समझाया

बैठाया… प्यार से पोषित कर ,  दिखाया

देख !  चिड़िया भी अपना घर तिनके तिनके ला

बनाती  हैं घोंसला… उजाड़ती नहीं

बन्दर मत बन -….उजाड़ -आग -विनाश नहीं

जिस थाली में खाते हैं छेद नहीं करते

अपना घर परिवेश समाज देश समझ

संस्कार प्यार ईमान धर्म कर्म

तेरे खोखले पी. यच. डी. विज्ञान पर भारी हैं

भूख ..गरीबी जाति धर्म नहीं देखती

न ये वाद ..न वो वाद ..विवाद ही विवाद

सामंजस्य समझौता परख जाँच

जरुरी है महावीर बुद्ध ज्ञानी बनने हेतु 

शून्य में विचर पानी में लाठी मत पीट

कुएं में एक भेंड़ कूदी

फिर सब सत्यानाश ...हाहाकार

जंगल राज ..अन्धकार से सहजता में आ

सरल बन ..शून्य बन

फिर ऊंचाइयों में चढ़ना आसान है

बच्चे ने आकाश की ऊंचाइयों में झाँका

कुछ आँका ..जाँचा

समझ आ गयी थी 

आग लगाने से विकास नहीं होता

होता है विनाश ..नंगापन का नाच

भूख नहीं मरती

कटुता ही है बढ़ती

और हम आ जाते हैं ग्राफ में नीचे

पचास साल और पीछे

और फिर तिरंगा ले वह सावधान हो गया

वन्दे मातरम ..

जय हिन्द .....

उहापोह अब सुसुप्ति में आ चुका  था ...

=========================

"मौलिक व अप्रकाशित"

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५

कुल्लू यच पी

६-६.५२ पूर्वाह्न

२८ फरवरी २०१६

Views: 522

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on March 7, 2016 at 11:30am

आदरणीय मिथिलेश जी बहुत बहुत आभार प्रोत्साहन हेतु रचना आप के मन को छू सकी और आप ने पढ़ा अच्छा लगा
भ्रमर ५


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 7, 2016 at 12:22am

आदरणीय बधाई स्वीकारें इस प्रस्तुति पर. 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on March 5, 2016 at 3:15pm

आदरणीय धामी जी रचना की प्रस्तुति और इसकी पीड़ा को आप ने समझा सराहा अच्छा लगा
आभार
भ्रमर 5

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 5, 2016 at 11:25am

इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई l

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on March 5, 2016 at 10:19am

आदरणीय समर कवीर जी …बहुत बहुत आभार आप का …आज के समसामयिक विषय पर रची ये रचना आप के मन को छू सकी और आप ने इसे सराहा बहुत अच्छा लगा कृपया अपना मार्ग दर्शन बनाये रखें भ्रमर ५

Comment by Samar kabeer on March 4, 2016 at 9:02pm
जनाब सुरेन्द्र कुमार शुक्ल जी आदाब,पहली बार आपकी रचना से रूबरू हुआ हूं, अच्छा लिखते हैं आप,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई चेतन जी , सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "टपकती छत हमें तो याद आयी"…"
19 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उदाहरण ग़ज़ल के मतले को देखें मुझे इन छतरियों से याद आयातुम्हें कुछ बारिशों से याद आया। स्पष्ट दिख…"
21 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
25 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"सहमत"
32 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। गुणीजनो के सुझावों से यह और निखर गयी है। हार्दिक…"
50 minutes ago
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"मुशायरे की अच्छी शुरुआत करने के लिए बहुत बधाई आदरणीय जयहिंद रामपुरी जी। बदलना ज़िन्दगी की है…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
12 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन आपका बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला मतला   उड़ने की ख़्वाहिशों…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया अभी ज़िंदा हैं मेरी हसरतें भी तुम्हारी…"
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service