For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैंने सोचा न था ......

मैंने सोचा न था ......

मुझे गीत का नाम देकर
तुम बार बार
मुझे गुनगुनाओगे
सच ! ऐसा तो कभी
मैंने सोचा न था//

मेरे रक्ताभ अधरों पर
अपनी अनुभूति का
अनमोल स्पर्श छोड़ जाओगे
सच ! ऐसा तो कभी
मैंने सोचा न था//

मेरे अंतरंग पलों में
प्रेम घनों की
नन्ही बूंदों सा बरसता
तुम कोई राग छोड़ जाओगे
सच ! ऐसे तो कभी
मैंने सोचा न था//

कभी मेरी मूक व्यथा
शून्यता से मिल
उसके अंक में विलीन हो जाएगी
सच ! ऐसा भी कभी
मैंने सोचा न था//

मेरी संसृति में
साँसे लेता जीवन राग का
अद्भुत अंकन
एक दिन विरह निशा में
खो जाएगा
सच ! ऐसा भी तो
मैंने  सोचा न था//

मेरे रुधिर में आज भी
तुम्हारी स्मृति का मृदु चुंबन
मेरी कंपन का
अभिनन्दन करता है
लौट आओ प्रिय कि
तुम बिन तुम्हारा ये गीत
हर पल क्रंदन करता है
अपने ही सृजन से
मुंह मोड़ जाओगे
प्रेम का विरह से
शृंगार कर जाओगे
सच ! ऐसा तो कभी
मैंने सोचा न था//


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 642

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on March 14, 2016 at 5:01pm

आ.  vijay nikore   जी प्रस्तुति को आत्मीय मान देने का हार्दिक आभार। 

Comment by vijay nikore on March 14, 2016 at 1:09pm

 बहुत ही सुन्दर, अति भाव-प्रधान रचना के लिए बधाई।

Comment by Sushil Sarna on March 11, 2016 at 1:03pm

आ.  रामबली गुप्ता  जी प्रस्तुति की गहनता पर आपकी स्वीकृति देती प्रतिक्रिया का दिल से आभार। 

Comment by Sushil Sarna on March 11, 2016 at 1:02pm

आ.  सर्वेश कुमार मिश्र   जी प्रस्तुति को आत्मीय मान देने का हार्दिक आभार। 

Comment by रामबली गुप्ता on March 10, 2016 at 11:19pm
वाह वाह आ.सुशील सरना जी क्या बात आप की अभिव्यक्तियों का तो मैं अनुरागी हो गया। इस भाव पूर्ण कविता के लिए हृदय तल से बधाई स्वीकार करें।सादर
Comment by सर्वेश कुमार मिश्र on March 10, 2016 at 10:38pm

Waah

Comment by Sushil Sarna on March 9, 2016 at 9:12pm

आ. Kewal Prasad  जी प्रस्तुति की गहनता पर आपकी स्वीकृति देती प्रतिक्रिया का दिल से आभार। 

Comment by Sushil Sarna on March 9, 2016 at 9:11pm

आ.  ram shiromani pathak   जी प्रस्तुति को आत्मीय मान देने का हार्दिक आभार। 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 9, 2016 at 9:00pm

आ० सरना भाई जी, सुंदर एवं भावपूर्ण कविता के लिये हार्दिक बधाई . सादर

Comment by ram shiromani pathak on March 9, 2016 at 5:55pm
अहा शब्दों का सटीक प्रयोग।।बधाई आदरणीय

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
15 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service