For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सूर्य से जो लड़ा नहीं करता (ग़ज़ल)

२१२२ १२१२ २२

 

सूर्य से जो लड़ा नहीं करता

वक़्त उसको हरा नहीं करता

 

सड़ ही जाता है वो समर आख़िर

वक्त पर जो गिरा नहीं करता

 

जा के विस्फोट कीजिए उस पर

यूँ ही पर्वत झुका नहीं करता

 

लाख कोशिश करे दिमाग मगर

दिल किसी का बुरा नहीं करता

 

प्यार धरती का खींचता इसको

यूँ ही आँसू गिरा नहीं करता

-------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 508

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by narendrasinh chauhan on March 14, 2016 at 10:06am

खूब सुन्दर रचना

Comment by Rahul Dangi Panchal on March 13, 2016 at 10:34pm
जी अब समझ गया मैंनें शायद गलत पढ लिया क्षमा
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 13, 2016 at 9:59pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय राहुल जी। यहाँ ‘समर’ है अर्थात फल है। जो फल पक कर भी नहीं गिरता वो पेड़ में लगे लगे ही सड़ जाता है।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 13, 2016 at 9:58pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय धामी जी। यहाँ ‘समर’ है अर्थात फल है। जो फल पक कर भी नहीं गिरता वो पेड़ में लगे लगे ही सड़ जाता है।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 13, 2016 at 9:57pm

बहुत बहुत शुक्रिया जनाब समर साहब। आप ठीक कह रहे हैं। त्रुटि की तरफ ध्यान दिलाने के लिए आभारी हूँ।

Comment by Rahul Dangi Panchal on March 13, 2016 at 9:41pm
लाख कोशिश करे दिमाग मगर
दिल किसी का बुरा नहीं करता

बहुत सुन्दर भैया जी बस दूसरा शे'र में शजर का सडना पता नहीं क्यूं समझ नहीं पाया
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 13, 2016 at 7:15pm

आ0 भाई धर्मेद्र जी इस सुंदर गजल के लिए हार्दिक बधाई । दूसरे श्ेर में समर है या शजर समझ नहीं पाया । 

Comment by Samar kabeer on March 13, 2016 at 2:46pm
जनाब धर्मेंद्र कुमार जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल कही आपने दाद के साथ मुबारकबाद कुबूल फरमाएँ ।
तीसरा शैर,विस्फोट के बाद पर्वत बिखर सकता है झुकता नहीं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
5 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
9 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service