ग़ज़ल(एतबार न कर )
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2122 ----1212 -----112
मान मेरी सलाह प्यार न कर |
हुस्न वालों का एतबार न कर |
हो न जज़्बात जाएँ बेक़ाबू
जानेजां हद वफ़ा की पार न कर
बेच दी जिन सुख़नवरों ने क़लम
उनके जैसा मुझे शुमार न कर|
हुस्न वाले वफ़ा नहीं करते
तू यक़ीं उनपे बार बार न कर |
आँख भीगी है और हंसी लब पर
राज़े उल्फ़त को आशकार न कर |
वक़्ते रुख़सत निगाह नम करके
और इस दिल को बेक़रार न कर |
ग़ैर का हाथ जिसने थाम लिया
उसका तस्दीक़ इंतज़ार न कर |
(मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
जनाब राहुल साहिब , हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया
मोहतरम जनाब रवि शुक्ल साहिब , ग़ज़ल में शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया , .....आप सही फरमा रहे हैं प्यार अपने आप ही होता है मगर उसके बाद का एतबार सारा नक़्शा बदल देता है , ग़ज़ल में तो सिर्फ सलाह दी गयी है। ...... शुक्रिया
मोहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब , ग़ज़ल में शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया , ...... आपका कहना दुरुस्त है ,बह्र में लाने के लिए ऐसा करना पड़ा। ... मश्वरे का बहुत बहुत शुक्रिया
आदरणीय तस्दीक अहमद जी बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने,दाद और मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं । हमारी बात आदरणीय समर कबीर जी पहले ही कह चुकें है ।
प्यार कब जान बूझ कर होता
खदु ही होता है ये अगर हेाता हा हा हा बुरा न मानियेगा
बेच दी जिन सुख़नवरों ने क़लम
उनके जैसा मुझे शुमार न कर| वाह वाह बहुत खूब जनाब बधाई
मोहतरम जनाब तेजवीर सिंह साहिब ,ग़ज़ल में शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
जनाब लक्ष्मण धामी साहिब ,ग़ज़ल में शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
जनाब नरेन्द्र चौहान साहिब ,ग़ज़ल में शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी! बेहतरीन गज़ल!
बेच दी जिन सुख़नवरों ने क़लम
उनके जैसा मुझे शुमार न कर|
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