For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -फिर ‘नूर’ हर्फ़ हर्फ़ वहाँ तितलियाँ रहीं.

221/2121/122/1212

.
आसानियों के साथ परेशानियाँ रहीं, 
गर रौशनी ज़रा रही, परछाइयाँ रहीं.
.

क़दमों तले रहा कोई तपता सा रेगज़ार, 
यादों में भीगती हुई पुरवाइयाँ रहीं.
.

नाकामियों में कुछ तो रहा दोष वक़्त का,  
ज़्यादा कुसूरवार  तो ख़ुद्दारियाँ रहीं.
.

ऐसा नहीं कि तेरे बिना थम गया सफ़र
हाँ! ज़िन्दगी की राह में तन्हाइयाँ रहीं.
.

क़िरदार.. कुछ कहानी के, कमज़ोर पड़ गए
कुछ लिखने वाले शख्स की कमज़ोरियाँ रहीं.
.

मिलते दिखे उफ़क पे ज़मीं-आसमाँ मगर,
दोनों के दरमियान बहुत दूरियाँ रहीं.
.

हिन्दी की क्यारियों में जो उर्दू के गुल खिले
फिर ‘नूर’ हर्फ़ हर्फ़ वहाँ तितलियाँ रहीं.
.
निलेश "नूर"
मौलिक / अप्रकाशित 

Views: 862

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 7, 2016 at 1:59pm
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल है आदरणीय नूर जी ..आपको हृदय से हार्दिक बधाई सादर
Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 6, 2016 at 11:38am

शुक्रिया आ. ब्रिजेश जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 6, 2016 at 11:38am

शुक्रिया आ. पंकज  जी..

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 5, 2016 at 10:38pm
क्या खूबसूरत ग़ज़ल कही आदरणीय वाह हर एक शेर लाज़बाब 
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on March 30, 2016 at 6:34pm
बेहतरीन ग़ज़ल के लिए साधुवाद सर
Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 21, 2016 at 8:23pm

शुक्रिया आ. सुनील जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 21, 2016 at 8:22pm

शुक्रिया शेख शाहज़ाद उस्मानी साहेब 

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on March 20, 2016 at 5:09pm
सादर नमन आदरणीय नीलेश जी बहुत ही शानदार उम्दा कहन लिए मुखातिब है ग़ज़ल वाह वाह के अलावा और भी वाह।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 20, 2016 at 4:43pm
मतले से मक़्ते तक सम्पूर्ण ग़ज़ल में गहरी बातें कहते हुए काफिये और रदीफ़ के बेहतरीन चयन व इस्तेमाल संग शानदार पेशकश के लिए तहे दिल बहुत बहुत मुबारकबाद मोहतरम जनाब निलेश शेव्गांवकर 'नूर' साहब।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 20, 2016 at 10:50am

शुक्रिया आ. केवल प्रसाद जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service