For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दरार – ( लघुकथा ) -

दरार – ( लघुकथा )    -

 मीरा और मोहन कितने खुश थे जब उनके परिवार वालों ने उनके प्रेम विवाह को  मंज़ूरी दे दी!मीरा के तो पैर ज़मीन पर ही नहीं पड रहे थे! हनीमून के लिये श्रीनगर  गये!दौनों की खुशियां सातवें आसमान पर थीं!

 एक दिन अंतरंग क्षणों में, कसमे वादे के दौर में, मीरा ने मोहन को अपने साथ हुई एक घटना  सुना दी,” वह जब सोलह साल की थी!उसके दूर के रिश्ते के मामाजी ने उसके साथ ज़बरदस्ती की थी! उसने  मॉ को  रो रो कर सारा वाकया सुनाया! वह चाहती थी कि  पुलिस में शिकायत  कर दो! पर मॉ ने  हिदायत दी कि इस बारे में दोबारा किसी से कोई बात नहीं करना!जो कुछ हुआ उसे भूल जा! उसे मॉ की नसीहत   बहुत बुरी लगी थी, पर वह रो धो कर शांत हो गयी”!

मोहन ने तत्काल तो कोई प्रतिक्रिया नहीं की!मगर धीरे धीरे वह मीरा से  खिंचा सा रहने लगा!प्यार के उफ़ान में एकदम से उतार आ गया!मीरा ने मोहन से  पूछने की चेष्टा की तो मोहन की झुंझलाहट मीरा को अंदर तक चीर गयी!उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था, अतः वह मन बहलाव और बदलाव के लिये मॉ के पास आ गयी!

"क्या बात है मीरा, एक तो तुम अकेली आयी, दूसरे तुम्हारे चेहरे से खुशी गायब है,झगडा हुआ क्या"!

"नहीं मॉ झगडा तो नहीं हुआ, पर कुछ गडबड तो है"!

"क्या हुआ मेरी बच्ची,मुझे सब कुछ बता"!

मीरा ने विस्तार से वह बात मॉ को बताई!

"मीरा, तुझे मैंने उसी वक्त कहा था कि इस बात को दोबारा ज़ुबांन पर मत लाना!पुरुष जाति यह सब नहीं सहन  कर  पाती"!

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 579

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on May 1, 2016 at 8:24pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी!

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 30, 2016 at 12:51am
न तो पुरुष, न ही स्त्री ऐसे वाक़्यात को बरदाश्त कर पाती है। जो बरदाश्त करते हैं, वे मौक़ा पाकर करारा बदला ले लेते हैं भड़ास निकालने के लिए इस दौर में। बहुत बढ़िया कथानक को सरल सहज प्रस्तुति से अत्यावश्यक कथ्य सम्प्रेषण के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय तेज वीर सिंह जी।
Comment by TEJ VEER SINGH on March 29, 2016 at 9:46am

हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on March 29, 2016 at 9:45am

हार्दिक आभार आदरणीय राहिला जी!

Comment by Nita Kasar on March 28, 2016 at 9:15pm
सौ टके की बात कही है,नादानी में हुई हरकत का ज़बान पर आना,और उसका परिणाम कष्टदायक होता है ।कड़वा सच है ये जिंदगी का बधाई आपको आद०तेजवीर सिंह जी ।
Comment by Rahila on March 28, 2016 at 12:02pm
सुन्दर रचना आदरणीय तेजवीर सर जी! बहुत बधाई ।सादर नमन
Comment by TEJ VEER SINGH on March 27, 2016 at 3:25pm

हार्दिक आभार आदरणीय रामबली गुप्ता जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on March 27, 2016 at 3:24pm

हार्दिक आभार आदरणीय शिज्जू "शकूर" जी!

Comment by रामबली गुप्ता on March 27, 2016 at 2:07pm
तीखी किन्तु सत्य बात बयान करती रचना।
बधाई स्वीकार करें आदरणीय

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 27, 2016 at 11:11am
आदरणीय तेजवीर जी तल्ख लेकिन सच बात कही है बधाई आपको इस रचना के लिये

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service