बेवफाई ....
एक जानवर
अपने मालिक को
इंसान समझने की
गलती कर बैठा
उसे अपना खुदा समझ बैठा
वक्त बेवक्त उसकी रक्षा करने को
अपना फर्ज समझ बैठा
उसके हर इशारे पर
जानवर होते हुए भी
खुद को न्योछावर कर बैठा
डाल दिये टुकड़े तो खा लिए
वरना खामोशी से
अपने पेट से समझोता कर बैठा
अपने दर्द को
अपने कर्मों की सजा समझ बैठा
जगता रहा वो रातों को
ताकि मालिक चैन से सो सके
इक जरा सी गलती ने
मालिक ने उसकी पीठ पर
जानवर का लेबल चिपका दिया
ऊंची सोसाईटी की महफिल में
अपने मालिक की खातिर
एक गलत आदमी पर भौंक कर
उसका पैग गिरा दिया
बस फिर मालिक ने
इंसानी चौला बदल डाला
उस बेजान की पीठ पर
चाबुक बरसाकर
दरिंदगी को भी शर्मसार कर डाला
वो बेजुबान अपनी पीठ पर
अपने फर्ज़ की सजा पाता रहा
रहम के लिए
उसके कदमों में गिडगिडाता रहा
देख कर असलियत इंसानी चौले की
उसे अपने जानवर होने पर
इतनी शर्म न आई
जितनी उस वफादार को
इंसान की दरिंदगी पे शर्म आई
लौट गया वो
अपने जानवरों की दुनिया में
आडम्बर से भरी
ऐसी इंसानी दुनिया छोड़ कर
जिसने एक वफादार के साथ
निभाई तो सिर्फ बेवफाई ही निभाई
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय रामबली गुप्ता ही आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार।
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