For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ गीत सुनाने हैं मुझको .....

कुछ गीत सुनाने हैं मुझको ......

कुछ गीत सुनाने हैं मुझको 

कुछ मीत मनाने हैं मुझको
जो अब तक पूरे हो  न सके 

वो  गीत   बनाने हैं मुझको
कुछ गीत सुनाने हैं मुझको ....

कब मौसम जाने रूठ गया
कब शाख से पत्ता टूट गया
जो रिश्तों में हैं सिसक रहे
वो दर्द अपनाने हैं  मुझको
कुछ गीत सुनाने हैं मुझको ....

क्यूँ नैन शयन में  बोल उठे
क्यूँ सपन व्यर्थ में डोल उठे
अवगुंठन में तृषित हिया के
अंगार   मिटाने   हैं  मुझको
कुछ गीत सुनाने हैं  मुझको ....

वो गंध जो भटकी  राहों  में
वो तृप्ति जो अटकी बाहों  में
रतनारी नयनों में सपनों के
कुछ  दीप जलाने हैं मुझको
कुछ गीत सुनाने हैं मुझको .....

मनभुवन में सिहरन है कैसी
शुष्क होठों पे कंपन है  कैसी
अवसाद पलों में सृजित  हुए
वो दृग नीर बहाने हैं मुझको
कुछ गीत सुनाने हैं  मुझको .....

कुछ क्षण शापित से साथ चले
कुछ भ्रम में  लिप्त  यथार्थ पले
जो  कलम  से  रूठ के  दूर  हुए
वो  रूठे  शब्द मनाने हैं मुझको
कुछ  गीत  सुनाने  हैं    मुझको ....


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 458

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on March 28, 2016 at 9:38pm

आ. Srivastava amod bindouri जी प्रस्तुति को मान देने का हार्दिक आभार। 

Comment by amod shrivastav (bindouri) on March 28, 2016 at 1:25pm
आ सुशील सर बहुत सुन्दर रचना जिसमे
यह
कुछ क्षण शापित से साथ चले
कुछ भ्रम में लिप्त यथार्थ पले
जो कलम से रूठ के दूर हुए
वो रूठे शब्द मनाने हैं मुझको
कुछ गीत सुनाने हैं मुझको ....

बहुत ही सुन्दर लगा
आप को बहुत बहुत बधाई नमन
Comment by Sushil Sarna on March 28, 2016 at 1:15pm

आ. amita tiwari  जी प्रस्तुति में निहित भावों को मान देने का हार्दिक आभार। 

Comment by amita tiwari on March 27, 2016 at 6:14pm

उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई

Comment by Sushil Sarna on March 27, 2016 at 4:26pm

आ. आ. रामबली जी  प्रस्तुति में निहित भावों को आत्मीय सम्मान देने का हार्दिक आभार। मात्रात्मक त्रुटि शीघ्रता वश हो गयी है जिसका मुझे खेद है।  इस त्रुटि की और ध्यान आकर्षित करने का हार्दिक आभार। भविष्य में अवशय सजगता अपनाऊंगा। धन्यवाद। 

Comment by Sushil Sarna on March 27, 2016 at 4:22pm

आ. शिज्जु शकूर साहिब  प्रस्तुति में निहित भावों को मान देने का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on March 27, 2016 at 4:21pm

आ. तेज वीर सिंह जी प्रस्तुति को मान देने का हार्दिक आभार। 

Comment by रामबली गुप्ता on March 27, 2016 at 2:32pm
सत्य ही बहुत सुंदर गीत आ. सुशील जी
किन्तु कहीं कहीं मात्रात्मक त्रुटि के कारण प्रवाह बाधित हो रहा है। आपके गीत के अधिकांश लाइनों में 16-16 मात्राएँ हैं किन्तु कतिपय लाइनों में 17 या 17 से भी अधिक मात्राएँ होने के कारण गेयता बाधित हो रही है। बाकी सब शुभ शुभ। सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 27, 2016 at 11:04am
वाह आदरणीय सुशील सरना सर क्या खूब गीत रचा है आपने बहुत बहुत बधाई आपको
Comment by TEJ VEER SINGH on March 27, 2016 at 9:24am
हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी!बेहतरीन रचना!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service