बस मैं जानूं या तुम जानो ......
पीर पीर को क्या जाने
नैन विरह से अनजाने
वो दृग स्पर्श की अकथ कथा
बस मैं जानूं या तुम जानो .......
पल बीता कुछ उदास हुआ
रुष्ट श्वास से मधुमास हुआ
क्यूँ दृगजल से घन बरस पड़े
बस मैं जानूं या तुम जानो ....... .
तुम हर पल मेरे साथ थे
मेरी श्वास के विशवास थे
क्यूँ शेष बीच अवसाद रहे
बस मैं जानूं या तुम जानो ......
सपन नयन से झरने लगे
स्पंदन देह को डसने लगे
स्मृति हंस क्यों मौन हुए
बस मैं जानूं या तुम जानो .....
कुछ पास हुए कुछ दूर हुए
उर भाव अकथ मजबूर हुए
क्यों सृजन पूर्व सँहार हुआ
बस मैं जानूं या तुम जानो .......
आसक्ति पुष्प सब धूल हुए
पल बाहुपाश के शूल हुए
ये प्रेम विहग क्यूँ मौन हुए
बस मैं जानूं या तुम जानो .......
देह अदेह का भेद मिटा
शलभ दीप का नेह मिटा
क्यूँ प्रेम पंथ वट हीन हुआ
बस मैं जानूं या तुम जानो ......
बीती विभावरी की बातें
सस्मित सपनों की रातें
क्यूँ बिम्ब सभी अनंत हुए
बस मैं जानूं या तुम जानो ...
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आ. vijay nikore जी प्रस्तुति में निहित भावों को मान देने का हार्दिक आभार।
बहुत ही सुन्दर भाव । रचना अच्छी लगी। बधाई।
आ. Dr Ashutosh Mishra जी प्रस्तुति में निहित भावों को मान देने का हार्दिक आभार।
आ. सुनील प्रसाद(शाहाबादी) जी प्रस्तुति को आपके प्रशंसनीय शब्दों ने जो मान दिया है उसके लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया।
आदरणीय समर कबीर साहिब आदाब .... आपने हमेशा मेरे सृजन को थपथपाया है ... इस होसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया।
आ. maharshi tripathi जी प्रस्तुति को आपके प्रशंसनीय शब्दों ने जो मान दिया है उसके लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया।
आ. narendrasinh chauhan जी प्रस्तुति में निहित भावों को मान देने का हार्दिक आभार।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online