For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पी लेने दो ... (एक प्रयास एक ग़ज़ल )

२२ २२ २२ २२

इक लम्हा तो जी लेने दो
अब जी भर के पी लेने दो !!१!!

एक   कतरा  है पैमाने में
खो के  हस्ती  पी लेने दो !!२!!
आये न कभी अब होश हमें
अब लब अपने सी लेने दो !!३!!

दम घुटता है अब यादों का
अब शब को भी जी लेने दो !!४!!

जाने   कैसा   तूफां   है   ये 
हाँ मिट कर फिर जी लेने दो !!५!!

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 538

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on April 12, 2016 at 9:06pm

आदरणीय सौरभ सर ग़ज़ल की पीठ पर आपकी हौसला देती प्यार भरी थपकी ने प्रयास को सार्थक कर दिया। प्रयत्न करूंगा की मेरे प्रयास को छूकर आप जैसे पारस को निराश न होना पड़े। आपकी इस हौसला अफ़ज़ाई का दिल से शुक्रिया सर। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 12, 2016 at 4:20pm

कमाल कमाल !

आदरणीय सुशील सरनाजी. आपने तो बहर बह भी मात्रिक बहर को साध लिया है ! बहुत खूब !

मैं आदरणीय रवि शुक्लजी के कहे का अनुमोअन करताहूँ. 

हार्दिक शुभकामनाएँ 

Comment by Sushil Sarna on April 4, 2016 at 10:11pm

आदरणीय राजेश कुमारी जी बिलकुल सही कहा आपने अधिकतर इक का ही प्रयोग होता है मैंने कतरा के चक्कर में एक का प्रयोग किया। बाकी ''थी'' को हटाने से मिसरा -ऐ -उला का वज़न  ठीक हो जाएगा सानी के प्रभाव में कोई फर्क नहीं आएगा। इस सुझाव और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार।  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 4, 2016 at 9:47pm

जी एक की तो मेरे ख़याल से ३ मात्राएँ ही गिनी जायेंगी फिर ग़ज़लों में इक अधिकतर प्रयोग होता देखा है |इक बूँद बची थी पैमाने में--इसमें दो मात्रा अधिक हो रही हैं -इक बूँद बची  पैमाने में  --हो सकता है  'थी' हटा दो |

Comment by Sushil Sarna on April 4, 2016 at 9:35pm

आदरणीय राजेश कुमारी ही मेरे प्रयास पर आपकी होसला अफ़ज़ाई ने मेरे सृजन प्रयास को और भी सशक्त किया है , आपका  हार्दिक आभार। आपके अमूल्य सुझाव का हार्दिक आभार। आ. अगर इसे '' इक बूँद बची थी पैमाने में '' कर दिया जाए तो कैसा रहेगा क्योँकि कतरे के साथ इक का मेल ठीक नहीं लग रहा। दूसरी बात आ. क्या एक शाश्वत नहीं इसे २ के स्थान पर ३ की मात्रा से गिना जाएगा ? मार्गदर्शन देने की कृपा करें। धन्यवाद। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 4, 2016 at 8:55pm

वाह्ह  बहुत अच्छी कोशिश है दुसरे शेर में एक  को इक करना ठीक रहेगा मात्रा सध जायेगी 

दिल से बधाई लीजिये आ० सुशील सरना जी |

Comment by Sushil Sarna on April 3, 2016 at 3:02pm

आ.  Tasdiq Ahmed Khan  साहिब आपकी रूहानी हौसलाअफ़्ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 2, 2016 at 9:45pm

जनाब सुशील  सरना  साहिब ,छोटी बह्र में ग़ज़ल लिखना बहुत मुश्किल होता है , आपकी कोशिश तारीफ के क़ाबिल है , मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं। ....

Comment by Sushil Sarna on April 2, 2016 at 1:30pm

आदरणीय रवि शुक्ला जी आपने मेरे प्रयास को सराहा आपका तहे दिल से शुक्रिया। सर मुक्त बह्र वाले को बह्र की सीमा में चलना थोड़ा कठिन होता है और मैं इस कठिनाई को जीतना चाहता हूँ। छोटे बालक की तरह डरते डरते चलता हूँ गिरने के भय से किसी सहारे की तरफ देखता हूँ और जब आप जैसे गुणीजनों का सहारा सामने हो तो तस्सली हो जाती है। आपके मार्गदर्शन का हार्दिक आभार और कोशिश करूंगा जो त्रुटि आपने इंगित की है उसकी पुनरावृति न हो। 

Comment by Ravi Shukla on April 2, 2016 at 7:58am
आदरणीय सुशील जी अच्छा प्रयास हुआ है बह्र को साध लिया है आपने । बधाई इसके लिए । कही कही शेर के दोनों मिसरों में अन्तर्सम्बन्ध नही बन पा रहा जैसे अपने लब सी लेने अर्थात चुप हो जाने से होश में न आने की बात कह रहे हैं आप । इस तरह से भी शेर देखने का निवेदन है । पर आपको ग़ज़ल कहते देख कर बहुत ख़ुशी हो रही है । बहुत बहुत बधाई इस रास्ते पर बढ़ने के लिए ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service