पी लेने दो ... (एक प्रयास एक ग़ज़ल )
२२ २२ २२ २२
इक लम्हा तो जी लेने दो
अब जी भर के पी लेने दो !!१!!
एक कतरा है पैमाने में
खो के हस्ती पी लेने दो !!२!!
आये न कभी अब होश हमें
अब लब अपने सी लेने दो !!३!!
दम घुटता है अब यादों का
अब शब को भी जी लेने दो !!४!!
जाने कैसा तूफां है ये
हाँ मिट कर फिर जी लेने दो !!५!!
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय सौरभ सर ग़ज़ल की पीठ पर आपकी हौसला देती प्यार भरी थपकी ने प्रयास को सार्थक कर दिया। प्रयत्न करूंगा की मेरे प्रयास को छूकर आप जैसे पारस को निराश न होना पड़े। आपकी इस हौसला अफ़ज़ाई का दिल से शुक्रिया सर।
कमाल कमाल !
आदरणीय सुशील सरनाजी. आपने तो बहर बह भी मात्रिक बहर को साध लिया है ! बहुत खूब !
मैं आदरणीय रवि शुक्लजी के कहे का अनुमोअन करताहूँ.
हार्दिक शुभकामनाएँ
आदरणीय राजेश कुमारी जी बिलकुल सही कहा आपने अधिकतर इक का ही प्रयोग होता है मैंने कतरा के चक्कर में एक का प्रयोग किया। बाकी ''थी'' को हटाने से मिसरा -ऐ -उला का वज़न ठीक हो जाएगा सानी के प्रभाव में कोई फर्क नहीं आएगा। इस सुझाव और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार।
जी एक की तो मेरे ख़याल से ३ मात्राएँ ही गिनी जायेंगी फिर ग़ज़लों में इक अधिकतर प्रयोग होता देखा है |इक बूँद बची थी पैमाने में--इसमें दो मात्रा अधिक हो रही हैं -इक बूँद बची पैमाने में --हो सकता है 'थी' हटा दो |
आदरणीय राजेश कुमारी ही मेरे प्रयास पर आपकी होसला अफ़ज़ाई ने मेरे सृजन प्रयास को और भी सशक्त किया है , आपका हार्दिक आभार। आपके अमूल्य सुझाव का हार्दिक आभार। आ. अगर इसे '' इक बूँद बची थी पैमाने में '' कर दिया जाए तो कैसा रहेगा क्योँकि कतरे के साथ इक का मेल ठीक नहीं लग रहा। दूसरी बात आ. क्या एक शाश्वत नहीं इसे २ के स्थान पर ३ की मात्रा से गिना जाएगा ? मार्गदर्शन देने की कृपा करें। धन्यवाद।
वाह्ह बहुत अच्छी कोशिश है दुसरे शेर में एक को इक करना ठीक रहेगा मात्रा सध जायेगी
दिल से बधाई लीजिये आ० सुशील सरना जी |
आ. Tasdiq Ahmed Khan साहिब आपकी रूहानी हौसलाअफ़्ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया।
जनाब सुशील सरना साहिब ,छोटी बह्र में ग़ज़ल लिखना बहुत मुश्किल होता है , आपकी कोशिश तारीफ के क़ाबिल है , मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं। ....
आदरणीय रवि शुक्ला जी आपने मेरे प्रयास को सराहा आपका तहे दिल से शुक्रिया। सर मुक्त बह्र वाले को बह्र की सीमा में चलना थोड़ा कठिन होता है और मैं इस कठिनाई को जीतना चाहता हूँ। छोटे बालक की तरह डरते डरते चलता हूँ गिरने के भय से किसी सहारे की तरफ देखता हूँ और जब आप जैसे गुणीजनों का सहारा सामने हो तो तस्सली हो जाती है। आपके मार्गदर्शन का हार्दिक आभार और कोशिश करूंगा जो त्रुटि आपने इंगित की है उसकी पुनरावृति न हो।
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