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रोटी (लघु कथा )

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ऑफिस में लंच का वक़्त होते ही आज़ाद ने खाना खाने के बाद रोज़ की तरह बाहर  आकर एक मिट्टी के बर्तन में पानी भरके पास में बाजरे के दाने डाल दिए ,ताकि चिड़ियाँ भी अपनी भूक और प्यास बुझ सकें | सामने दो कुत्ते भी इंतज़ार में खड़े हुए थे , आज़ाद ने बची हुई रोटी के दो टुकड़े करके उनकी तरफ फेंक दिए | ....... अचानक बड़ा कुत्ता एक टुकड़ा मुंह में दबा कर दूसरे टुकड़े की तरफ बढ़ने लगा , यह देख कर छोटा कुत्ता फ़ौरन आगे बढ़ा ,...... देखते ही देखते दोनों कुत्ते आपस में झगड़ने लगे ,कभी रोटी के टुकड़े बड़े कुत्ते के मुंह कभी छोटे कुत्ते के मुंह में और कभी ज़मीन पर। ....... आसमान पर एक उड़ती हुई चील यह मंज़र देख कर फ़ौरन नीचे आई और मौक़ा मिलते ही रोटी के टुकड़े लेकर उड़ गई | ..... हैरतज़दा आज़ाद ख़ामोश कभी उड़ती चील की तरफ देखता है कभी दोनों कुत्तों को जो रोटी मुंह में आकर भी नहीं खा सके। --------------

( मौलिक व  अप्रकाशित )

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Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 2, 2016 at 10:54pm

मोहतरम जनाब विजय शंकर साहिब , लघु कथा को आपने कीमती वक़्त देकर हौसला अफ़ज़ाई की ,  तहेदिल से शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Rahila on April 2, 2016 at 10:11pm
वाह्ह. .आद.खान साहब! बहुत ही सटीक कसी हुई प्रेरक रचना प्रस्तुत की आपने बहुत बधाई ।सादर
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 2, 2016 at 9:55pm
बधाई , आदरणीय तस्दीक अहमद साहब , कहानी अच्छी है , बस अब चील पशुओं के लड़ने का इन्तजार नहीं करती है , खुद लड़ा देती है , और रोटी लेकर निकल लेती है। सादर।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 2, 2016 at 9:13pm

मोहतरम जनाब शेख शहज़ाद उस्मानी साहिब आदाब , लघु कथा में इतनी गहराई से शिरकत करने और आप जैसे तजुर्बेकार महान कथाकार की हौसला बढाते कमेंट पाकर मेरी महनत कामयाब हो गयी। ..... तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 2, 2016 at 8:02pm
इसीलिए कहा जाता है कि ख़िदमत और दान का तरीक़ा भी लक्ष्य साधते हुए सार्थक सटीक सुनीति तहत होना चाहिए। यह एक प्रेरक मार्गदर्शक घटना है। शासन-प्रशासन, समाज सेवी एन.जी.ओ.संस्थाओं द्वारा किए जा रहे कार्यों के सही लाभ वांछित ज़रूरतमंद व्यक्ति/प्राणी/वनस्पति तक न पहुंच पाने का एक कारण यह भी तो है।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 2, 2016 at 7:56pm
यह दुनिया और दुनियादारी... तदबीर और तक़दीर..शक्ति और चातुर्य.. परख और मौक़ापरस्ती..इन सबकी बेहतरीन अनुपम तस्वीर की लघुकथा पेशकश के लिए तहे दिल से बहुत बहुत मुबारकबाद मोहतरम जनाब तस्दीक़ अहमद ख़ान साहब।

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