रोटी (लघु कथा )
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ऑफिस में लंच का वक़्त होते ही आज़ाद ने खाना खाने के बाद रोज़ की तरह बाहर आकर एक मिट्टी के बर्तन में पानी भरके पास में बाजरे के दाने डाल दिए ,ताकि चिड़ियाँ भी अपनी भूक और प्यास बुझ सकें | सामने दो कुत्ते भी इंतज़ार में खड़े हुए थे , आज़ाद ने बची हुई रोटी के दो टुकड़े करके उनकी तरफ फेंक दिए | ....... अचानक बड़ा कुत्ता एक टुकड़ा मुंह में दबा कर दूसरे टुकड़े की तरफ बढ़ने लगा , यह देख कर छोटा कुत्ता फ़ौरन आगे बढ़ा ,...... देखते ही देखते दोनों कुत्ते आपस में झगड़ने लगे ,कभी रोटी के टुकड़े बड़े कुत्ते के मुंह कभी छोटे कुत्ते के मुंह में और कभी ज़मीन पर। ....... आसमान पर एक उड़ती हुई चील यह मंज़र देख कर फ़ौरन नीचे आई और मौक़ा मिलते ही रोटी के टुकड़े लेकर उड़ गई | ..... हैरतज़दा आज़ाद ख़ामोश कभी उड़ती चील की तरफ देखता है कभी दोनों कुत्तों को जो रोटी मुंह में आकर भी नहीं खा सके। --------------
( मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
मोहतरम जनाब विजय शंकर साहिब , लघु कथा को आपने कीमती वक़्त देकर हौसला अफ़ज़ाई की , तहेदिल से शुक्रिया ,महरबानी
मोहतरम जनाब शेख शहज़ाद उस्मानी साहिब आदाब , लघु कथा में इतनी गहराई से शिरकत करने और आप जैसे तजुर्बेकार महान कथाकार की हौसला बढाते कमेंट पाकर मेरी महनत कामयाब हो गयी। ..... तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
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