ग़ज़ल (उल्फत का रंग है )
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221 --2121 --1221 ---212
ऐसा लगे है चढ़ गया उल्फत का रंग है ।
जो कल मेरे ख़िलाफ़ था वह आज संग है ।
वह मेरे पास बैठ गए सब को छोड़ के
यूँ हर कोई न देख के महफ़िल में दंग है ।
तरके वफ़ा का मश्वरा मत दीजिये हमें
सब जानते हैं आपका ये सिर्फ ढंग है ।
जिस दिन से जायदाद गए बाप छोड़ कर
घर तब से बन गया मेरा मैदाने जंग है ।
मैं एक क़दम बढ़ा तो बढ़ा वह कई क़दम
मेरा हबीब देख लो कितना दबंग है ।
नज़रें अभी न फेर सहारा तो ढूंड लूँ
बिन डोर अर्श पर कहाँ उड़ती पतंग है ।
तस्दीक़ होशियार रहो ऐसे शख़्स से
लब पर वफ़ा निगाह मगर जिसकी तंग है ।
(मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
भाई जयनित जी,
//आ. तस्दीक़ अहमद साहब, बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आपने। बाकी समर कबीर जी ने अपना अमूल्य सुझाव दे ही दिया है //
आप इतना कण्ट्राडिक्शन वाले वाक्य क्यों लिखते हैं ? बहुत अच्छी ग़ज़ल आप कह रहे हैं और इशारा समर साहब के सुझाव की ओर का भी दे रहे हैं जो इस ग़ज़ल की लेफ़्ट-राइट-सेण्टर करते दिख रहे हैं ! आप या तो ’बहुत अच्छी ग़ज़ल’ का अर्थ नहीं जानते या फिर ग़ज़लकार को अनावाश्यक चने की झाड़् पर चढ़ा रहे हैं. जैसा कि अमूमन अन्य सोशल साइटों और ब्लॉगों पर किये जाने की परिपाटी है. आदरणीय तस्दीक अहमद साहब की शायरी को ऐसी टिप्पणियों से क्या फायदा मिलेगा ? या किसी रचनाकार को ऐसी टिप्पणियों या प्रतिक्रियाओं से क्या अपेक्षा होगी ? यह तो अनावश्यक की ’वाह-वाही’ हुई न ?
क्या आप आदरणीय तस्दीक अहमद साहब को निरा ’वाह-वाही’-पसंद रचनाकार समझते हैं ?
हममें से तो कई ऐसा नहीं समझते. देखिये आदरणीय नादिर भाई की टिप्पणी ? कितनी सधी हुई प्रतिक्रिया दी है उन्होंने ! ऐसी ही प्रतिक्रियाओं से किसी रचनाकार का सार्थक रूप से भला होता है.
शुभेच्छाएँ
आदरणीय तस्दीक साहब जैसा के आप खुद ही कह रहे हैं ग़ज़ल पर ज़्यादा वक़्त नहीं दे पाए.... जनाब समर साहब का सुझाओ बहुत उम्दा है। यूँ शब्द से आपका मोह समझ नहीं आया जबकि मिसरे को समझ पाना मुश्किल हो रहा है , हो सकता है आपने कुछ और बेहतर सोचा हो और बहुत जल्द हमें परिपक्व ग़ज़ल पढ़ने को मिले मुझे इंतज़ार रहेगा सादर.....
मोहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब , ग़ज़ल को अपना क़ीमती वक़्त और मश्वरा देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
शेर 2 का सानी मिसरा आपका अच्छा है लेकिन मैं यूँ लफ्ज़ हटाना नहीं चाहता , आपकी बात दुरुस्त है ,ज़्यादा वक़्त नहीं दे पाया। ..... शुक्रिया
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