For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- मेरे आँगन का बूढ़ा शजर.... ( दिनेश कुमार )

212--212--212----212--212--212

अब्र का एक टुकड़ा है वो ......और मैं हूँ बशर धूप का
दिल के सहरा में खोजूं उसे, मैं क़फ़न बाँध कर धूप का

ज़िन्दगी की लिए जुस्तजू ..एक मुद्दत से बेघर हूँ मैं,
गाम दर गाम तन्हाइयाँ....हम-सफ़र है शजर धूप का

बर्फ़ बेशक जमी है बहुत, ख़त्म लेकिन मरासिम नहीं
मैं करुँगा जो करना पड़े... इन्तिज़ार उम्र भर धूप का

नाख़ुदा है मिरा हौसला, और पतवार........ बाज़ू मिरे
अपने साहिल पे पहुँचूँगा मैं, पार करके भँवर धूप का

इसका साया बचाता मुझे, हर तमाज़त से हर एक बार
मेरे आँगन का बूढ़ा शजर, सोखता है असर धूप का

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 596

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by दिनेश कुमार on May 6, 2016 at 7:01pm
आदरणीय साथियों का हार्दिक अअभार। हौसला अफ़ज़ाई के लिय
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 6, 2016 at 5:48pm
दिनेश जी , बहुत बढ़िया गजल हुई है .बधाई
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 6, 2016 at 5:48pm
दिनेश जी , बहुत बढ़िया गजल हुई है .बधाई
Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 6, 2016 at 7:14am

बहुत खूब आ. दिनेश जी ..बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 6, 2016 at 12:27am

आदरणीय दिनेश भाई जी, अच्छी ग़ज़ल है हार्दिक बधाई. सादर 

Comment by दिनेश कुमार on May 5, 2016 at 5:00pm
शुक्रिया आदरणीय समर सर जी।
Comment by दिनेश कुमार on May 5, 2016 at 4:59pm
शुक्रिया आदरणीय सरना सर जी।
Comment by Samar kabeer on May 5, 2016 at 2:59pm
जनाब दिनेश कुमार साहिब आदाब, अच्छी ग़ज़ल कही,बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sushil Sarna on May 5, 2016 at 1:34pm

ब्र का एक टुकड़ा है वो ......और मैं हूँ बशर धूप का

दिल के सहरा में खोजूं उसे, मैं क़फ़न बाँध कर धूप का

ज़िन्दगी की लिए जुस्तजू ..एक मुद्दत से बेघर हूँ मैं,

गाम दर गाम तन्हाइयाँ....हम-सफ़र है शजर धूप का

उफ़ कितने गहन भावों के अशआर अपने ग़ज़ल में उतारे हैं आदरणीय। दिल कायल को गया आपकी कलम का। दिल से बधाई स्वीकार करें आदरणीय सर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
16 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
16 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
16 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
17 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
22 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service