For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुमशुदा हूँ  मैं

तलाश जारी है

अनवरत 'स्व ' की

अपना ‘वजूद’

है क्या ?

 आये खेले ..

कोई घर घरौंदा बनाए..

लात मार दें हम उनके 

वे हमारे घरों को....

रिश्ते  नाते उल्का से लुप्त

विनाश ईर्ष्या विध्वंस बस

'मैं ' ने जकड़ रखा  है मुझे

झुकने नहीं देता रावण सा

एक 'ओंकार'  सच सुन्दर

मैं ही हूँ - लगता है

और सब अनुयायी

'चिराग'  से डर लगता है

अंधकार समाहित है

मन में ! तन - मन दुर्बल है

आत्मविश्वास ठहरता नहीं

कायर बना  दिया है ....

सच को अब सच कहा नहीं जाता

चापलूसी चाटुकारिता  शॉर्टकट

ज़िन्दगी की आपाधापी की दौड़ में

नए आयाम हैं  , पहचान हैं  

मछली की आँख तो दिखती नहीं

दिखती बस है मंजिल...

परिणाम - शिखर

शून्य में ढ़केल देता है फिर ..

शून्य - उधेड़बुन चिंता - चिता

‘एकाकीपन’ तमगा मिल जाता  है

गले में लटकाए निकल लेता हूँ

अपना ‘वजूद’ खोजने

शायद अब जाग जाऊं

‘गुमशुदा’ हूँ मैं

-----------------------------------

"मौलिक व अप्रकाशित"

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५

कुल्लू हिमांचल प्रदेश

६/५/२०१६

१०:५० - ११;१५ पूर्वाह्न

Views: 567

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 13, 2016 at 11:51am

आदरणीय रामबली जी स्वागत है आप का ..रचना आप के मन को छू सकी अच्छा लगा आभार
जय श्री राधे
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 13, 2016 at 11:51am
आदरणीय रामबली जी स्वागत है आप का ..रचना आप के मन को छू सकी अच्छा लगा आभार
जय श्री राधे
भ्रमर ५
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 13, 2016 at 11:50am
आदरणीय मिथिलेश जी आभार सुन्दर सुझाव हेतु ..इस को एडिट कर दिया जाएगा
जय श्री राधे
भ्रमर ५
Comment by रामबली गुप्ता on May 12, 2016 at 5:53pm
बहुत ही उम्दा अतुकांत। बधाई स्वीकार करें आदरणीय

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 11, 2016 at 2:32pm

आदरणीय भ्रमर जी बढ़िया भावाभिव्यक्ति है किन्तु समानार्थी शब्दों का एक ही पंक्ति प्रयोग कथ्य को शाब्दिक किये जाने के क्रम को अनावश्यक विस्तार दे रहा है यथा -

//गुमशुदा हूँ  मैं

तलाश जारी है

अनवरत 'स्व ' को खोजने का

अपना ‘वजूद’ अस्तित्व

है क्या ? //

यहाँ तलाश और खोजने का प्रयोग हो या वजूद और अस्तित्व का.

//गुमशुदा हूँ  मैं

तलाश जारी है

अनवरत 'स्व ' की

अपना ‘वजूद’

है क्या ? //

सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service