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2122 2122 2122 212 

नाम को गर बेच कर व्यापार होना चाहिए
दोस्तों फिर तो हमें अखबार होना चाहिए

आपके भी नाम से अच्छी ग़ज़ल छप जायेगी
सरपरस्ती में बड़ा सालार होना चाहिए

सोचता हूँ मैं अदब का एक सफ़हा खोलकर
रोज़ ही यारो यही इतवार होना चाहिए

क्या कहेंगे शह्र के पाठक हमारे नाम पर
छोड़िये, बस सर्कुलेशन पार होना चाहिए

हम निकट के दूसरे से हर तरह से भिन्न हैं
आंकड़ो का क्या यही मेयार होना चाहिए

नो निगेटिव न्यूज का मुद्दा मुनासिब आपका
गैर वाज़िब बात का प्रतिकार होना चाहिए

खो गया है ये कहीं विज्ञापनों के ढेर में
बीच में इनके कही अखबार होना चाहिए

मौलिक एवं अप्रकाशित

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 9, 2016 at 11:19pm

लीक से हट कर चलें उसको सही शाइर कहें 

ऐसे में फिर यार रवि स्वीकार होना चाहिए ..

मज़ा ले रहा हूँ आपके इस अंदाज़ का ! आप जब दिल से कहते हैं, खूब कमाल करते हैं आदरणीय रवि भाई !

हार्दिक शुभकामनाएँ 

Comment by maharshi tripathi on June 9, 2016 at 11:07pm
आज की समाचार पत्रिका की हालत सही बया किया है आपने,बधाई प्रेषित है !!
Comment by Ashok Kumar Raktale on June 9, 2016 at 9:49pm

नो निगेटिव न्यूज का मुद्दा मुनासिब आपका
गैर वाज़िब बात का प्रतिकार होना चाइये.......बिलकुल.

आदरणीय रवि शुक्ला जी सादर, अख़बार वालों को कई नसीहतें देती खूबसूरत गजल. बहुत-बहुत मुबारकबाद कुबुलें. सादर.

Comment by Anuj on June 9, 2016 at 8:52pm

खो गया है ये कहीं विज्ञापनों के ढेर में 
बीच में इनके कही अखबार होना चाहिए

आदरणीय रवि जी, एक अच्छी ग़ज़ल से नवाजने के लिए शुक्रिया.

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on June 9, 2016 at 6:36pm
कई हक़ीक़तें बयान करती व कई सवाल खड़े कर रही ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए तहे दिल से बहुत बहुत मुबारकबाद मोहतरम जनाब रवि शुक्ल साहब।

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