दोहो का उपकार
सदा सूफियाना गज़ल, गम को करके ध्वस्त.
शब्द अर्थ रस भाव से, ऊर्जा भरे समस्त.१
मंदिर की श्रद्धा लिये खड़ी दीप- जयमाल.
वरे नित्य सुख- शांति को, रखे प्रेम खुशहाल.२
मस्ज़िद का ताखा प्रखर, लिये धूप की गंध.
मेघ-मेह की भांति ही, जोड़े मृदु सम्बंध.३
पश्चिम का तारा उदय, हुआ ईद का चांद.
उन्तिस रोज़ो से डरा, छिपा शेर की मांद.४
रोज़ो से सहरी मिली, सांझ करे इफ्तार.
उन्तिस दिन के बाद फिर, ईद हुई गुलज़ार.५
मौलिक व अप्रकाशित
रचनाकार.....केवल प्रसाद सत्यम
Comment
आ० ब्रजेश भाई जी, प्रणाम! आपका तहेदिल से शुक्रिया व हार्दिक आभार. सादर
आ० सौरभ सर जी, प्रणाम! आपका मार्गदर्शन सदैव ही सतपथ कीओर ले जाता है. इस स्नेह हेतु आपका तहेदिल से शुक्रिया व हार्दिक आभार. सादर
आ० आशुतोष भाई जी, प्रणाम! आपका तहेदिल से शुक्रिया व हार्दिक आभार. सादर
आ० रामबली भाई जी, प्रणाम! आपका तहेदिल से शुक्रिया व हार्दिक आभार. सादर
बहुत सुन्दर दोहे आदरणीय
सदा सूफियाना गज़ल, गम को करे शिकस्त
शब्द अर्थ रस भाव से, ऊर्जा भरे समस्त.१...... शिकस्त दी जाती है. शिकस्त की जाती है, ऐसा नहीं होता.
मंदिर की श्रद्धा लिये खड़ी दीप- जयमाल.
वरे नित्य सुख- शांति को, रखे प्रेम खुशहाल.२...... इस छन्द का कर्ता कौन है ? बिना कर्ता के छन्द या शेर हल्के माने जाते हैं, भाईजी..
मस्ज़िद का ताखा प्रखर, लिये धूप की गंध.
मेघ-मेह की भांति ही, जोड़े मृदु सम्बंध.३................ जी, बहुत अच्छा !
पश्चिम का तारा उदय, हुआ ईद का चांद.
उन्तिस रोज़ो से डरा, छिपा शेर की मांद.४......... उदय संज्ञा है. जबकि वहाँ क्रिया की आवश्यकता थी. तभी तो पहले पद के सम चरण की तार्किकता बनेगी. दूसरा पद तनिक और स्पष्टता चाहता है. तभी शेर की माँद में छिपा तारा यदि उगे तो प्रसन्नता ईद के रूप में प्रस्फुटित होती अच्छी लगेगी. चाँद और माँद सही अक्षरी हैं.
रोज़ो से सहरी मिली, सांझ करे इफ्तार.
उन्तिस दिन के बाद फिर, ईद हुई गुलज़ार.५............ ’फिर’ का होना यह ज़ाहिर करता है, गोया मात्र २९ दिन ही के लिए ईद ग़ुलज़ार नहीं थी. बाकी दिन ग़ुलज़ार रहा करती है. ’फिर’ को ’लो’ या ऐसा कुछ कहकर सार्थकता बरती जा सकती है.
प्रस्तुति केलिए हार्दिक बधाइयाँ केवल प्रसाद जी..
आदरणीय केवल भाई जी ..इन दोहों में जो संदेश अपने दिया है काबिले तारीफ़ है इस रचना के लिए ह्रदय से बधाई स्वीकार करें सादर
आ० रवि भाई जी, प्रणाम! आपका तहेदिल से शुक्रिया व हार्दिक आभार. सादर
आ० शहज़ाद भाई जी, प्रणाम! आपका तहेदिल से शुक्रिया व हार्दिक आभार. सादर
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